जिले में खेतिहर मजदूरों की संख्या 65 प्रतिशत, सभी की स्थिति दयनीय
अररिया : बीते लगभग एक दशक से जिले में मजदूरों, विशेष रूप से मनरेगा जॉबकार्ड धारकों के अधिकारों की आवाज बुलंद करने वाली संस्था जन जागरण शक्ति संगठन का मानना है कि स्थानीय स्तर पार काम देकर पलायन रोकने के लिए बनायी गयी मनरेगा योजना का समुचित लाभ कामगारों को नहीं मिल रहा. योजना कमोबेश […]
अररिया : बीते लगभग एक दशक से जिले में मजदूरों, विशेष रूप से मनरेगा जॉबकार्ड धारकों के अधिकारों की आवाज बुलंद करने वाली संस्था जन जागरण शक्ति संगठन का मानना है कि स्थानीय स्तर पार काम देकर पलायन रोकने के लिए बनायी गयी मनरेगा योजना का समुचित लाभ कामगारों को नहीं मिल रहा. योजना कमोबेश विफल है. यही वजह है कि जिले के मजदूरों का अन्य प्रदेशों में पलायन जारी है.
मजदूर दिवस के उपलक्ष्य में प्रभात खबर से खास बातचीत में संगठन की सक्रिय सदस्य कामयनी स्वामी ने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में खेतिहर मजदूरों की संख्या 53 प्रतिशत है. जबकि श्रमिकों के श्रेणी में जिले के 65 प्रतिशत श्रमिक खेतिहर मजदूर है. स्थानीय स्तर पर काम नहीं रहने के कारण मजदूर पलायन करने को मजबूर होते हैं. पर वहां उन्हें तरह तरह के शोषण का शिकार होना पड़ता है. ठेकेदारों से ठगे जाते हैं. पेमेंट रोक कर जबरदस्ती काम कराया जाता है. अधिक वजन उठाने पर क्षमता से अधिक मेहनत के कारण उन्हें तरह तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है. कामायनी स्वामी कहती हैं कि स्थिति के मद्देनजर जिले में मनरेगा का खास महत्व है. पर आलम ये है कि पिछले चार सालों से मनरेगा की मजदूरी 177 रुपये प्रति दिन पर टिकी हुई है. जबकि सातवां वेतन आयोग आ चुका है. जिले में मनरेगा को विफल बताते हुए वे कहती हैं कि योजना के तहत हर ग्रामीण मजदूर परिवार को स्थानीय पंचायत में ही हर साल 100 दिन का रोजगार मुहैया कराना है. पर जमीनी सच्चाई कुछ अलग है. वर्ष 2017-18 के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि बिहार में औसतन एक परिवार को 36 दिन का काम मिला. पर जिले का औसत केवल 25 दिन काम का है. वहीं केवल 65 परिवार ऐसे रहे जिन्हें बीते वित्तीय वर्ष में 100 दिन का काम मिला. जबकि जॉबकार्ड धारकों की संख्या पांच लाख के करीब है.
योजना का लाभ निर्माण कार्य के मजदूरों के अलावा राज मिस्त्री, उनके हेल्पर, पेंटर, लोहार, बढ़ई, बिजली व टाइल मिस्त्री, इंट भट्टा मजदूर व कम से कम 50 दिन काम करने का अनुभव रखने वाले मनरेगा मजदूर ले सकते हैं. अन्य मजदूरों को कम से कम 90 दिन काम करने का प्रमाण पत्र देना होगा. बताया गया कि निर्माण श्रमिकों के लिए संचालित योजनाओं में मातृत्व लाभ, विवाह सहायता, मृत्यू हित लाभ, पेंशन, परिवार पेंशन, दाह संस्कार सहायता व औजार व साइकिल क्रय विशेष अनुदान आदि शामिल हैं. पंचायत वार शिविर लगा कर निर्माण श्रमिकों का निबंधन किया जा रहा है. अब तक लगभग 100 शिविर लगाये जा चुके हैं. 10 हजार श्रमिकों का पंजीयन किया गया है.