नदी का जलस्तर बढ़ने से ग्रामीणों में दहशत
कुर्साकांटा : प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली नदी विनाश लीला की कथा लिखने वाली नदियों में सुमार बकरा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है. जलस्तर बढ़ने से नदी किनारे बसे गांव पीरगंज, डैनियां, खुटहरा, तीरा, शिशुआकोल, डहुआबाड़ी, परड़िया समेत दर्जनों गांव के ग्रामीणों में दहशत व्याप्त दिखा. ग्रामीणों से मिली जानकारी अनुसार बरसात का […]
कुर्साकांटा : प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली नदी विनाश लीला की कथा लिखने वाली नदियों में सुमार बकरा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है. जलस्तर बढ़ने से नदी किनारे बसे गांव पीरगंज, डैनियां, खुटहरा, तीरा, शिशुआकोल, डहुआबाड़ी, परड़िया समेत दर्जनों गांव के ग्रामीणों में दहशत व्याप्त दिखा.
ग्रामीणों से मिली जानकारी अनुसार बरसात का मौसम आते ही नदी का कटान तेजी से होने लगता है. उन्होंने बताया कि गत वर्ष विनाशकारी बाढ़ को लेकर दर्जनों परिवार बेघर हुये तो दर्जनों परिवार अन्यत्र अपनी आशियाना बनाने को मजबूर हुये. नदी किनारे लोग नदी का जलस्तर बढ़ने की जानकारी मात्र से सिहर जाते हैं.
पीरगंज निवासी कटान पीड़ित रघुनाथ सिंह, सुनील राम, संतोष यादव, बिपिन राम, मुखिया प्रतिनिधि उपेंद्र पासवान, सरपंच सरस्वती देवी ने बताया कि गत वर्ष कटान पीड़ित परिवार द्वारा कुआडी सिकटी मार्ग पर बकरा नदी पुल को अवरुद्ध कर नदी में तटबंध निर्माण करने, कटान पीड़ित परिवार की वैकल्पिक व्यवस्था करने संबंधी मांग किया गया.
उन्होंने बताया कि सड़क जाम की सूचना पर तत्कालीन कुर्साकांटा व सिकटी बीडीओ, सीओ व स्थानीय प्रशासन द्वारा जामकर्ताओं को समझा बुझाकर जाम हटाया गया. पदाधिकारी द्वारा आक्रोशित कटान पीड़ितों को तटबंध निर्माण व कटान पीड़ित परिवार की वैकल्पिक व्यवस्था का आश्वासन दिया गया. लेकिन बाढ़ बीतते ही पदाधिकारी का आश्वासन भी बंद बस्ते में पड़ा रहा. बकरा नदी के कटान से परड़िया गांव का लगभग एक दर्जन परिवार कटान को लेकर खासे परेशान दिखे. उन्होंने बताया कि बकरा नदी की वक्र दृष्टि ने कल का जमींदार को आज मजदूर बना दिया. परेशानी का सबब यह है कि नदी किनारे बसे गांव के परिवार जीविकोपार्जन को लेकर दिल्ली पंजाब समेत अन्य राज्यों की ओर पलायन करते रहे हैं.
ज्ञात हो कि पीरगंज गांव व कुर्साकांटा कुआडी मार्ग के 18 मील से तीरा जाने वाली सड़क पर शिशुआकोल के निकट बकरा नदी के कटान को बरसात पूर्व कटाना रोधक उपाय नही किया गया तो प्रखंड मुख्यालय का अस्तित्व खतड़े में पर सकता है.