अपने को जीवित साबित करने के लिए 83 वर्षीय “दिव्यांग” कर रहे हैं संघर्ष
अररिया : बिहार के अररिया जिले के जोकीहाट प्रखंड अंतर्गत फरसदांगी गाँव निवासी एक 83 वर्षीय दिव्यांग को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभ से इस आधार पर वंचित कर दिया गया है क्योंकि वह सरकारी रिकार्ड में "मृत" हैं. पोलियो के कारण बाएं हाथ और पैर से लाचार फरसदांगी गांव निवासी मोहम्मद दरबान (83), उस […]
अररिया : बिहार के अररिया जिले के जोकीहाट प्रखंड अंतर्गत फरसदांगी गाँव निवासी एक 83 वर्षीय दिव्यांग को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभ से इस आधार पर वंचित कर दिया गया है क्योंकि वह सरकारी रिकार्ड में "मृत" हैं. पोलियो के कारण बाएं हाथ और पैर से लाचार फरसदांगी गांव निवासी मोहम्मद दरबान (83), उस समय यह जानकर आश्चर्यचकित रह गए जब उन्हें पता चला कि सरकारी रिकार्ड के अनुसार काफी अरसा पहले उनकी मृत्य हो जाने के कारण वह इंदिरा आवास योजना और बुजुर्गों के लिए पेंशन योजना का लाभ नहीं प्राप्त कर सकते.
मोहम्मद दरबान ने सरकारी रिकार्ड में उन्हें मृत दर्शाए जाने के लिए स्थानीय पंचायत के मुखिया को जिम्मेवार ठहराया है ताकि उन्हें योजनाओं से वंचित कर उसका लाभ मुखिया अपने चहेतों को दिला सके. दरबान अब अपने बैंक पासबुक और पहचान प्रमाण जैसे दस्तावेजों के साथ अपने को जीवित साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं. जोकीहाट के प्रखंड विकास अधिकारी मोहम्मद शराफत हुसैन ने पूछे जाने पर कहा कि सरकारी दस्तावेज में मोहम्मद दरबान को लेकर विसंगतियों के बारे में पूर्व से जानकारी इसलिए नहीं है क्योंकि पीड़ित पक्ष की ओर से इस बारे में उन्हें कोई लिखित शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि इस मामले के अब संज्ञान में आ जाने के बाद उसके बारे में पता लगाएंगे.
अररिया के जिलाधिकारी हिमांशु शर्मा ने कहा कि यदि किसी जीवित व्यक्ति को अधिकारी मृत बता रहे हैं तो उसके नाम पर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक नकली मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करना एक गंभीर मामला है और संबंधित अधिकारी मामले को देखेंगे.
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