शिक्षिका स्थानांतरण मामले से विद्यालय बना राजनीतिक अड्डा

फारबिसगंज : विद्यालय को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है. लेकिन फारबिसगंज का प्लस टू द्विजदेनी हाई स्कूल पिछले कुछ सालों से शिक्षकों व छात्र संगठन के लिए राजनीति का अड्डा बन गया है. जांच में आने वाले अधिकारी विद्यालय में विद्यालय की समस्याओं को सुलझाने के बजाय कथित तौर पर अपने वारे- न्यारे में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2019 8:16 AM

फारबिसगंज : विद्यालय को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है. लेकिन फारबिसगंज का प्लस टू द्विजदेनी हाई स्कूल पिछले कुछ सालों से शिक्षकों व छात्र संगठन के लिए राजनीति का अड्डा बन गया है. जांच में आने वाले अधिकारी विद्यालय में विद्यालय की समस्याओं को सुलझाने के बजाय कथित तौर पर अपने वारे- न्यारे में लगे रहते हैं. छात्र संगठन भी विद्यालय में पठन-पाठन की समस्याओं को छोड़ शिक्षकों की राजनीति में ज्यादे दिलचस्पी लेते नजर आ रहे हैं.

जिस प्रकार पिछले कुछ दिनों से एक शिक्षिका के स्थानांतरण के मुद्दों को लेकर विद्यालय के शिक्षक दो गुटों में बंटे हुए हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि शिक्षकों का विद्यालय में छात्रों के भविष्य की चिंता कम अपने वर्चस्व की ज्यादा चिंता है. शिक्षकों का एक गुट डीएम अररिया से मिल कर विद्यालय में शैक्षणिक माहौल खराब होने की शिकायत भी की है.
इस पर जिला प्रशासन को ध्यान देना चाहिए. जिस प्रकार बुधवार को डीईओ द्वारा विद्यालय के जांच के क्रम में शिक्षकों में आपस में बहस हुई. इससे साफ जाहिर होता है कि शिक्षकों में आपसी सामंजस्य नहीं है. आपसी सामंजस्य के बाद ही शिक्षकों द्वारा विद्यालय में शैक्षणिक माहौल बेहतर बनाया जा सकता है.
शिक्षकों को पठन-पाठन पर ध्यान देना चाहिए. द्विजदेनी हाई स्कूल पिछले कुछ सालों से विवादों में घिरा रहा है. अधिकारी भी स्वच्छ वातावरण में विद्यालय में पठन-पाठन हो, इस ओर कम ध्यान देते नजर आ रहे हैं. अधिकारी भी व्यक्ति विशेष के लिए राजनीति का शिकार हो रहे हैं. विद्यालय की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा है. विद्यालय में छात्रों के पठन-पाठन के लिए बैंच डेक्स का अभाव है. कई भवन अधूरे पड़े हैं.
खेल का मैदान अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. गुरुवार से मैट्रिक के छात्रों का रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है. इन सबों के बीच शिक्षकों में वर्चस्व की लड़ाई चरम पर है. शिक्षिका के स्थानांतरण की मुद्दें की जांच होनी चाहिए. नगर परिषद से शिक्षिका के स्थानांतरण व फिर रोक अपने आप में कई सवालों को जन्म देता है. सत्तारूढ़ दल के राजनेता भी विद्यालय के शिक्षकों की समस्याओं को लेकर काफी तत्पर नजर आ रहे हैं.
इन्हें विद्यालय में स्वच्छ वातावरण में पठन-पाठन हो इसको लेकर अधिकारियों पर दबाव बनाना चाहिए. राजनीतिक पार्टी यही तत्परता शहर के अन्य समस्याओं को भी लेकर दिखाते तो शायद शहर की हालात कुछ और होती. विभिन्न संगठनों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि स्वतंत्रता सेनानी द्विजदेनी जी के नाम पर स्थापित इस स्कूल की गरिमा को बचाने का कार्य करें. साथ ही इस विद्यालय में वर्षों से जमे शिक्षकों का तबादला अन्य स्कूलों में कर स्कूल की मर्यादा को बचाने का कार्य करें.

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