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हत्या के दो दोषियों को उम्रकैद की सजा

अररिया : सात वर्ष पूर्व नाजायज मजमा बनाकर थ्रीनट से गोली मारकर हत्या करने का मामला प्रमाणित होने पर व्यवहार न्यायालय अररिया के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय रमण कुमार ने स्पीडी ट्रायल के तहत दो आरोपितो को आजीवन, एक आरोपी को 10 वर्ष व 11 आरोपितो को 3-3 वर्ष कैद की सजा सुनायी […]

अररिया : सात वर्ष पूर्व नाजायज मजमा बनाकर थ्रीनट से गोली मारकर हत्या करने का मामला प्रमाणित होने पर व्यवहार न्यायालय अररिया के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय रमण कुमार ने स्पीडी ट्रायल के तहत दो आरोपितो को आजीवन, एक आरोपी को 10 वर्ष व 11 आरोपितो को 3-3 वर्ष कैद की सजा सुनायी है. सभी आरोपित जिले के नरपतगंज थाना क्षेत्र के बरैया गांव के रहने वाले हैं.

सजा पाने वालो में दो आरोपित क्रमश: इरशाद व दिलशाद को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है. वहीं आरोपी तबरेज को 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा तथा शेष बचे ग्यारह आरोपियों क्रमश: मो. इस्लाम, इकबाल, शमसेनूर, मो. मजेरूल, मो हबीब, मो वसी, मो कारी, मो सिबरील, मो जहीर, मो साहे कलाम, मो हजरूल को भी विभिन्न धाराओ में 3-3 वर्ष की सजा सुनायी गयी है
. सभी आरोपितों को कारावास की सजा के अलावा अलग-अलग धाराओं में अर्थदंड की राशि भी जुर्माना स्वरूप लगाया गया है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय रमण कुमार ने यह सजा गुरुवार को खुले अदालत में मुकदमा संख्या एसटी 227/15 में सुनायी है. घटना 30 मई 2012 की शाम सात बजे की बतायी गयी है. सुचिका हुस्ने आरा के खेत के पास सभी आरोपी नाजायज मजमा बनाकर हथियार से लैस होकर सुचिका हुस्नेआरा के खेत में चले गये.
जहां पहले से हुस्नेआरा अपनी बच्ची हुसरूबा व ससूर कलीमउददीन के साथ खड़ी थी. सूचिका के ससुर को जान मारने की नीयत उसपर गोलियां चलायी गयीं. गोली लगने से सूचिका के ससुर कलीमउद्दीन गंभीर रूप से घायल हो गये तथा एक गोली सूचिका की बच्ची हुसरूबा के माथे में लगी, जिससे उसकी मौत घटना स्थल पर ही हो गयी. घटना को लेकर हुसनेआरा पित वसीम खान ने नरपतगंज थाना में आरोपितों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
जहां ट्रायल के समय अभियोजन पक्ष की ओर से सभी गवाहों ने घटना का पूर्ण समर्थन किया था. गवाहों के बयान से संतुष्ट होकर न्यायाधीश रमण कुमार ने आरोपी दिलशाद को बच्ची हुसरूबा के माथे में गोली मारकर हत्या में दोषी पाकर भादवि की धारा 302/34 में दोषी पाया.
वहीं आरोपी इरशाद को भी भादवि की धारा 147, 148, 504, 307/34 तथा 27 आर्म्स एक्ट की धारा में दोषी पाया तथा बाकी बचे 11 आरोपितों क्रमश: मो. इस्लाम, इकबाल, शमसेनूर, मो. मजेरूल, मो. हबीब, मो. वसी, मो. कारी, मो. सिबरील, मो. जहीर, मो. साहे कलाम, मो. हजरूल को भी न्यायाधीश श्री रमण कुमार की अदालत ने दोषी करार दिया. सजा की बिंदु पर सरकार की ओर से एपीपी ने कड़ी से कड़ी सजा देने की अपील की, जबकि बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा कम से सम कम सजा देने की गुहार लगायी गयी.
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायाधीश रमण कुमार ने आरोपी दिलशाद को बच्ची हुसरूबा के माथे में गोली मारकर हत्या में दोषी पाकर भादवि की धारा 302/34 के तहत आजीवन कारावास की सजा तथा एक लाख रुपये जर्माना लगाया. इसमें से 50 हजार रुपये पीड़ित परिवार को देने की बात कही गयी. वहीं आरोपी इरशाद को भी भादवि की धारा 147, 148, 504, 307/34 तथा 27 आर्म्स एक्ट की धारा में आजीवन कारावास के अलावा 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया.
बचे शेष ग्यारह आरोपियो क्रमश: मो. इस्लाम, इकबाल, शमसेनूर, मो. मजेरूल, मो. हबीब, मो. वसी, मो. कारी, मो. सिबरील, मो. जहीर, मो. साहे कलाम, मो. हजरूल को भादवि की धारा147 में दो-दो वर्ष व जुर्माना दो-दो हजार रूपया, भादवि की धारा148 में तीन-तीन वर्ष व तीन-तीन हजार रुपये तथा भादवि की धारा 504 में भी दो-दो वर्ष व एक-एक हजार रुपये जुर्माना लगाया गया.

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