अररिया (रानीगंज) : सरकार एक तरफ सुरक्षित प्रसव को लेकर आमलोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने का दावा कर रही है. संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने में लगी है. वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र के लोग सरकारी अस्पताल की कुव्यवस्था व स्वास्थ्य कर्मी की कथित मनमानी से तंग होकर निजी अस्पतालों के चंगुल में फंसने को मजबूर हो रहे हैं. सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की कौन कहे, मुख्यालय स्थित रेफरल अस्पताल में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी की मनमानी से संस्थागत प्रसव का दावा झुठलाने लगा है. ताजा घटना पर गौर करें, तो रेफरल अस्पताल परिसर में बुधवार की सुबह प्रसव पीड़ा से एक महिला छटपटाती रही, लेकिन मौके पर मौजूद कोई भी नर्स व एएनएम देखने तक नहीं आयी. परिजन व अन्य महिलाओं ने साड़ी का घेरा बना कर किसी तरह अस्पताल परिसर में ही प्रसव कराया. इस बीच पीड़िता ने तीन बच्चों को जन्म दी.
हैरत की बात देखें, तो पूरे घटनाक्रम के दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ वाईपी सिंह सहित अन्य चिकित्सा पदाधिकारी दूर से अस्पताल परिसर का नजारा देखते रहे. हालांकि, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने मौके पर मौजूद एएनएम अस्मिता कुमारी को प्रसव कराने का आदेश भी दिया, लेकिन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के आदेश से बेपरवाह संबंधित एएनएम पीड़िता की मदद करने नहीं आयी. एएनएम अस्मिता को प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने तत्काल लेबर रूम के कार्य से मुक्त करने का आदेश दे दिया.
नर्स व एएनएम ने बिना जांच पड़ताल के निजी अस्पताल ले जाने को कह दिया
जानकारी के अनुसार प्रसव पीड़ा को देखते हुए कोसकापुर गांव निवासी संतोष यादव अपनी पत्नी रिंकू देवी को रेफरल अस्पताल लेकर आये. मौके पर कार्यरत नर्स व एएनएम ने बिना जांच पड़ताल किये रिंकू की हालत नाजुक बताते हुए निजी अस्पताल ले जाने को कह दिया. मौके की नजाकत को देखते हुए बुधवार की सुबह परिजन रिंकू को रेफरल अस्पताल से लेकर बाहर जा रहे थे. इसी बीच अचानक रिंकू की बेचैनी बढ़ने लगी. आसपास की महिलाओं ने आनन फानन में अस्पताल परिसर के खुले आसमान के नीचे साड़ी का घेरा बना दिया. देखते ही देखते रिंकू ने एक एक कर तीन बच्चों को जन्म दिया. इस घटना से परिजनों में आक्रोश है. वहीं तीनों नवजात को गोद में लिये परिजन सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को कोस रही थी. अस्पताल में सब कुछ उपलब्ध रहने के बावजूद भी जान जोखिम में डाल परिसर में अकुशल महिलाओं द्वारा प्रसव कराया गया.