3,82,969 शौचालयों का हो चुका है निर्माण लेकिन अभी भी लोग खुले में जा रहे शौच

मृगेंद्र मणि सिंह, अररिया : विश्व शौचालय दिवस जो कि प्रत्येक वर्ष को 19 नवंबर को मनाया जाता है. इसलिए पूरे विश्व में इसे मंगलवार को मनाया जायेगा. बिहार के पटना में मंगलवार को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में इस मुहिम को सफल दिखाने को ले जिले से एक टीम भी भेजी गयी है. लेकिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2019 8:46 AM

मृगेंद्र मणि सिंह, अररिया : विश्व शौचालय दिवस जो कि प्रत्येक वर्ष को 19 नवंबर को मनाया जाता है. इसलिए पूरे विश्व में इसे मंगलवार को मनाया जायेगा. बिहार के पटना में मंगलवार को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में इस मुहिम को सफल दिखाने को ले जिले से एक टीम भी भेजी गयी है.

लेकिन सरकार के इन तमाम प्रयासों के बावजूद लोगों की मानसिकता में बदलाव नहीं होने से इस उपयोगी योजना के सफलता पर सवाल उठते रहे हैं. हमारा जिला पूर्णरूपेण ओडीएफ घोषित हो चुका है या फिर घोषित होने के मुहाने पर खड़ा है. बावजूद अब भी शहरी सहित ग्रामीण क्षेत्रों में घर में निर्मित शौचालय के बावजूद लोग खुले में शौच करने जाते दिख जायेंगे.
कहीं-कहीं तो लोग इन शौचालयों में घरेलू सामान तक रखने में इस्तेमाल कर रहे हैं. शहरी क्षेत्रों में जहां लोगों के पास शौचालय है वे भी खुले में शौच जाते दिख जाते हैं. खुले में शौच जाना पूरी तरह से बीमारियों को दावत देता है. बावजूद अगर लोग अपनी मानसिकता में बदलाव नहीं लायेंगे तो स्वच्छता अभियान की दिशा में किये जा रहे सरकारी खर्च का मंसूबा सफल नहीं हो पायेगा. हम अपने स्वास्थ्य के लिए अगर खुद तत्पर नहीं होंगे तो फिर यह हमारा दुर्भाग्य है.
खुले में शौच जाना पर्यावरण को करता है दूषित
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व की अनुमानित ढाई अरब आबादी को पर्याप्त स्वच्छता मयस्सर नहीं है. अभी भी एक अरब वैश्विक आबादी खुले में शौच को अभिसप्त हैं. ताज्जुब की बात तो यह है कि उनमें से आधे से अधिक लोग भारत में रहते हैं. नतीजतन बीमारियां उत्पन्न होने के साथ-साथ पर्यावरण दूषित होता है. इसलिए भारत सरकार इस समस्या से उबरने के लिए स्वच्छ भारत अभियान चला रही है. भारत सरकार व बिहार सरकार के संयुक्त तत्वाधान में कुछ वर्षों से शौचालय निर्माण में गति लाने के लिए पूरे राज्य व देश भर में ओडीएफ अभियान(खुले में शौच से मुक्त) भी चलाया गया.
नतीजा भी संतोषजनक निकला. जिला स्वच्छता समन्वयक से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में तीन लाख 82 हजार 969 शौचालय निर्माण की प्रक्रिया को जिले के सभी 09 प्रखंडों में हासिल भी कर लिया गया है. इनमें से तीन प्रखंड सिकटी, कुर्साकांटा व भरगामा को ओडीएफ घोषित करते हुए दस्तावेज की प्रक्रिया को भी संपन्न करा लिया गया है. साथ ही बचे शेष प्रखंडों को ओडीएफ घोषित किये जाने के बाद अब दस्तावेज की प्रक्रिया को पूरी करने की प्रक्रिया चल रही है.
यह हाल तो अररिया का है. लेकिन एक सर्वे के अनुसार खुले में शौच जाना एक मानसिकता को दर्शाता है. इसके मुताबिक सार्वजनिक शौचालयों में नियमित रूप से जाने वाली तकरीबन आधे लोग व खुले में शौच जाने वाले इतने ही लोगों का कहना है कि यह सुविधाजनक उपाय है. ऐसे में यह बात तो स्पष्ट है कि खुले में शौच जाने की सोच में बदलाव के एक परिपक्व मानसिकता की जरूरत है.
जिले में शौचालय निर्माण के लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है. जिले में 382969 शौचालय निर्माण का लक्ष्य प्राप्त था. जिस लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है. सिकटी, भरगामा, कुर्साकांटा प्रखंड के दस्तावेज भी पूरे कर लिये गये हैं. अन्य प्रखंडों के दस्तावेज की प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है.
रोहन सिंह, जिला स्वच्छता समन्वयक
शौचालय निर्माण के लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है. खुले में शौच नहीं करने को लेकर समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम चलाये भी जा रहे हैं. लेकिन अपने स्वास्थ के लिए लोगों को भी जागरूक होना होगा.
सरकार का यह प्रयास रहता है कि लोगों को बीमारियों से बचाया जाए. इसलिए लोगों को भी अपने मानसिकता में बदलाव लाकर पुरानी सोच को बदलना होगा. यह समझना होगा कि अगर सरकार शौचालय के निर्माण के प्रति सजग है तो वह लोगों को बीमारियों से बचाने के लिए ही किया जा रहा है. अब लोग इसे समझने भी लगे हैं.
बैद्यनाथ यादव, डीएम अररिया
चलंत शौचालय की हालत ठीक नहीं
आम लोगों व राहगीरों की सुविधा के लिए नगर परिषद की ओर से तीन वर्ष पूर्व अररिया बस स्टैंड में चलंत शौचालय की व्यवस्था करायी गयी थी. लेकिन निर्माण के बाद से ही उसकी स्थिति इतनी भयावह है कि लोग उसकी सुविधा लेना तो दूर उसके आस-पास से गुजरने से भी परहेज करने लगे. हालांकि सरकार की ओर से लोगों की सुविधा व उन्हें परेशानी से बचाने की इस शौचालय योजना को इज्जत घर का नाम दिया गया था. लेकिन इसकी स्थिति देख आज यही लगता है कि इसे पहले खुद की ही आबरू बचाने की जरूरत है.

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