अररिया (सिकटी) : बिहार के अररिया में अपनी बीमार नानी के लिए दवा लेने गयी एक नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म किया गया. इसके बाद उसे बेहोश कर नेपाल के रास्ते वाया जोगबनी होते हुए खगड़िया ले जाकर रेड लाइट एरिया में बेच दिया गया. घटना बीते 28 नवंबर सुबह 10 बजे की है, लेकिन इसका खुलासा तब हुआ जब पीड़िता रेड लाइट एरिया से उन दरिंदों के चंगुल से भाग कर किसी तरह पहले कटिहार फिर अररिया पहुंची.
इस दिल दहलाने वाली घटना का मुख्य आरोपी गधाकाट चौक स्थित बाइक गैरेज संचालक मुमताज पिता शहादत है. वह करिया चौक सैदाबाद का रहने वाला है. उस पर पूर्व में कई बार दुष्कर्म व लड़कियों के अपहरण का मामला दर्ज हुआ है, लेकिन अब तक उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. जानकारी के अनुसार नाबालिग अपनी बीमार नानी के लिए दवा लाने अपने गांव स्थित चौक पर गयी थी. इस क्रम में वह कुछ देर के लिए गधाकाट चौक स्थित शहादत की मुर्गा दुकान पर रुकी थी.
इसी दौरान वहां पास ही बाइक गैरेज संचालक मुमताज पिता शहादत ने उसे बुलाया और गैरेज में ही बने एक घर में बिठा दिया. उसने नाबालिग से कहा कि वह उससे कुछ जरूरी बात करेगा इसके बाद वह चली जायेगी. इतने में ही वहां दो और लड़के आये. दोनों ने चेहरे पर मास्क पहन रखा था. इसके बाद तीनों आरोपियों ने उसके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया, जिससे वह बेहोश हो गयी. आरोपी उसे बाइक पर बिठाकर एक सुनसान जगह ले गये. तब तक पीड़िता होश में आ गयी थी.
आरोपियों की बातचीत से उसे पता चला कि वह बॉर्डर पर है. फिर तीनों आरोपियों ने उसके साथ बारी-बारी से दुष्कर्म किया. विरोध करने पर मारपीट की और हत्या की धमकी भी दी. आरोपी वहां से मुंह पर पट्टी बांध बुर्का पहनाकर नेपाल के रास्ते उसे जोगबनी ले गये. फिर उसे ट्रेन से खगड़िया लेकर चले गये. खगड़िया पहुंचते ही मुख्य आरोपी मुमताज ने किसी को फोन किया और तभी कुछ देर में वहां एक कार आ गयी. पीड़िता को कार में बिठाकर सभी उसे तय ठिकाने पर लेकर चले गये.
ठिकाने पर पहुंचते ही पीड़िता को लगा दी नशे की सुई
खगड़िया स्थित रेड लाइट एरिया पहुंचने पर उसे नशे की सुई लगा दी गयी. होश आने पर पीड़िता ने खुद को एक कमरे में बंद पाया. उसके पास एक अंजान लड़की थी. उसी ने पीड़िता को बताया कि कुछ लोग आये थे और उसे रेड लाइट एरिया में बेचकर चले गये हैं. इसके बाद तीन दिनों तक उसके साथ दर्जनों लोगों ने दुष्कर्म किया. इस घटना की तीसरी रात उसी के कमरे में बंद एक अन्य लड़की उसके लिए दूध लेकर आयी. उसी ने उसे बताया कि कमरे की खिड़की खुली है, इसी से निकल भागो. नहीं तो तुम्हारी जान नहीं बचेगी.
इसके बाद पीड़िता किसी तरह हिम्मत जुटाकर वहां से भाग निकली. रेलवे लाइन के किनारे-किनारे चलते-चलते वह खगड़िया स्टेशन पहुंची. वहां किसी ने उससे उसके घर के बारे में पूछा, उसने जवाब में अररिया बताया और रोने लगी. इस पर उस भले मानुस ने उसे कटिहार तक का टिकट कटाकर ट्रेन में बिठा दिया. कटिहार पहुंच कर वह स्टेशन पर फिर खुद को अकेला देख रोने लगी. वहां भी एक महिला ने उसकी मदद करते हुए उसे अररिया तक का टिकट देकर ट्रेन पर बिठा दिया. फिर अगली सुबह वह अररिया पहुंच गयी. अररिया जीरोमाइल पहुंचने पर वह एक सोफा वाले की दुकान पहुंची. उसे आपबीती बतायी और घर का नंबर देकर बात कराने की गुजारिश की. इसके बाद अररिया में एक दवा दुकान पर काम करने वाले अपने चाचा के साथ वह अपने घर पहुंची.