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भवन के अभाव में क्लास मर्ज कर हो रही पढ़ाई
अररिया : बिहार सरकार एक ओर शिक्षा के क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन होने का दावा कर रही है. वहीं अररिया जिले के सिकटी प्रखंड की कौवाकोह पंचायत स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय रामनगर पोठिया के दावों का पोल खोल रहा है. इस स्कूल ने अनेकों होनहार छात्रों को राज्य तथा देश की सेवा में योगदान देने […]
अररिया : बिहार सरकार एक ओर शिक्षा के क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन होने का दावा कर रही है. वहीं अररिया जिले के सिकटी प्रखंड की कौवाकोह पंचायत स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय रामनगर पोठिया के दावों का पोल खोल रहा है. इस स्कूल ने अनेकों होनहार छात्रों को राज्य तथा देश की सेवा में योगदान देने लायक बनाया. वहीं यह स्कूल आज शिक्षा विभाग तथा प्रबंधन समिति की बेरुखी का शिकार हो रहा है.
आज विद्यालय की परिस्थिति दयनीय हो चुकी है. कहने के लिए तो स्कूल 10वीं तक उत्क्रमित हो गया है, लेकिन संसाधन के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है. कभी पढ़ाई के सारे संसाधनों से सुसज्जित विद्यालय आज एक अदद मकान से भी महरूम है. स्कूल में लैब व लाइब्रेरी की तो कल्पना भी बेमानी होगी. विधायक विजय कुमार मंडल ने वर्ष 2006-07 में इन्होंने अपने फंड से भवन निर्माण के लिए राशि दी थी. इससे दो कमरों का निर्माण हुआ था. इसमें एक साथ 50 बच्चों के बैठने की व्यवस्था थी,
जबकि महज 8-9 वर्षों में ही मकान ढह गया. जबकि विद्यालय के छात्रों ने हमेशा अपनी कामयाबी का झंडा देश तथा राज्य के पटल पर गाड़ा है. इस स्कूल के बहुत से छात्र इंजीनियर, इनकम टैक्स, बैंक, डॉक्टर, प्रसार भारती व शिक्षक बनकर स्कूल का नाम रोशन कर रहे हैं. वहीं स्कूल के पुराने मकानों की स्थिती दयनीय हो चुकी है. बच्चों को उसमें पढ़ने में भी डर लगता है. कुछ समय पहले पढ़ाई के दौरान छत के कुछ हिस्से टूट कर गिर गये थे. इस कारण बच्चे उन कमरों में जाने से डरते हैं.
छह शिक्षकों के भरोसे है कक्षा एक से आठवीं तक के 499 बच्चे
कक्षा एक से आठवीं तक में 499 छात्र नामांकित हैं. स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए भवन तक नहीं हैं. यहां तक कि स्कूल के कार्यालय भी रेज्ड प्लेटफॉर्म पर बने दो कमरों के सहारे चल रहा है. न तो कोई कॉमन रूम और न ही खेल के संसाधन ही यहां मौजूद हैं.
ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या साइकिल व पोशाक के नाम पर कागज पर बच्चों की संख्या बढ़ाकर बिहार के लिए एक शिक्षित व बेहतर भविष्य की कल्पना की जा सकती है. स्कूल में कुल छह शिक्षक हैं, जो क्लास को मर्ज कर चलाते हैं. कक्षा सातवीं व आठवीं एक साथ, पांचवीं व छठी एक साथ, तीसरा व चौथा एक साथ जबकि पहली व दूसरी कक्षा अलग-अलग चल रही है.
भवन के अभाव में क्लास मर्ज कर हो रही पढ़ाई : प्रधानाध्यापक कमला कुमारी ने कहा कि भवन के अभाव में स्कूल में क्लास को मर्ज कर चला रहे हैं. यहां महज छह शिक्षक हैं. बच्चों के बैठने के लिए भवन ही नहीं है. किसी तरीके से क्लास मर्ज कर काम चला रहे हैं. विधायक फंड से बना भवन भी नौ साल में ही ढह गया.
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