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धन संग्रह की प्रवृत्ति एक मानसिक रोग

प्राउटिष्ट यूनिवर्सल पर विचार गोष्ठी का आयोजनफोटो:10-गोष्ठी में उपस्थित आचार्य विशेश्वर व अन्यफोटो:11-विचार गोष्ठी में शामिल शहर के बुद्धिजीवी प्रतिनिधि, अररियाप्राउटिष्ट यूनिवर्सल अररिया के तत्वावधान में रविवार को महिला महाविद्यालय में विचार गोष्ठी हुई. इसका उद्घाटन अररिया महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ उदित कुमार वर्मा ने दीप प्रज्वलित कर किया. उद्घाटन के उपरांत सामाजिक अर्थ […]

प्राउटिष्ट यूनिवर्सल पर विचार गोष्ठी का आयोजनफोटो:10-गोष्ठी में उपस्थित आचार्य विशेश्वर व अन्यफोटो:11-विचार गोष्ठी में शामिल शहर के बुद्धिजीवी प्रतिनिधि, अररियाप्राउटिष्ट यूनिवर्सल अररिया के तत्वावधान में रविवार को महिला महाविद्यालय में विचार गोष्ठी हुई. इसका उद्घाटन अररिया महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ उदित कुमार वर्मा ने दीप प्रज्वलित कर किया. उद्घाटन के उपरांत सामाजिक अर्थ नैतिक दर्शन प्राउत (प्रगतिशील उपयोग तत्व) के प्रणेता प्रभात रंजन सरकार के चित्र पर पुष्प अर्पित किया गया. सत्यकाम ने प्रउत गीत से कार्यक्रम का शुभारंभ किया. मौके पर वक्ताओं ने प्राउत दर्शन का व्यावहारिक व्याख्या प्रस्तुत किया. मुख्य अतिथि आचार्य विशेश्वर ने पूंजीवादी तथा साम्यवादी अर्थव्यवस्था की मूल्यहीनता पर प्रकाश डालते हुए एक नूतन सामाजिक अर्थ नैतिक दर्शन प्रउत से परिचय कराया, जो धरती पर पहली बार बोधि ज्ञान जन्य आध्यात्मिकता पर नूतन दर्शन है. वहीं मुख्य प्रवक्ता आचार्य कल्याणेश्वरानंद अवधूत केंद्रीय सचिव ने कहा कि परम पुरुष ही इस ब्रह्मांड के श्रष्टा हैं. इसलिए स्वामित्व का अधिकार परम पुरुष को ही है. उन्होंने कहा कि आज की वर्तमान पंूजीवादी व्यवस्था के कई दुष्परिणाम हैं. शोषण का चक्र चल रहा है. धन संग्रह की प्रवृत्ति एक मानसिक रोग है और इससे मुक्त होना आवश्यक है. संगोष्ठी में उपस्थित बुद्धिजीवियों को एक नये सामाजिक, अर्थ नैतिक दर्शन के बारे में बताया गया. संगोष्ठी का संचालन कृष्ण कुमार ने किया. संगोष्ठी को सफल बनाने में विवेकानंद अवधूत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.

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