आरसेटी एचआइवी पीड़तों को दे रहा प्रशिक्षण

अररिया : समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिये आरसेटी द्वारा एचआइवी पीड़ितों को भी प्रशिक्षित कर स्वावलंबी बनाने का काम किया जा रहा है. ग्रामीण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित आरसेटी के पूरे देश मे 372 केंद्रों में से मैरिज हॉल में भी एक स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान चल रहा है. अररिया मे आरसेटी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 16, 2015 2:50 AM

अररिया : समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिये आरसेटी द्वारा एचआइवी पीड़ितों को भी प्रशिक्षित कर स्वावलंबी बनाने का काम किया जा रहा है. ग्रामीण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित आरसेटी के पूरे देश मे 372 केंद्रों में से मैरिज हॉल में भी एक स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान चल रहा है.

अररिया मे आरसेटी के निदेशक श्रीकांत शर्मा ने बताया कि जिले के फारबिसगंज, जोकीहाट, जोगबनी, अररिया आदि प्रखंडों के 20 एड्स पीडि़तों को बकरी पालन का छह दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. इन सभी प्रशिक्षणार्थी को 12 अक्तूबर को डीएम हिमांशु शर्मा ने प्रमाण पत्र देकर उत्साहवर्धन किया.

एचआइवी के शिकार हुए इन लोगों को स्वावलंबी बनाये जाने को लेकर आरसेटी इस प्रकार के आयोजन करता आ रहा है.

निदेशक श्री शर्मा ने बताया कि लोग अब जागरूक हो रहे हैं. एड्स जैसे बीमारी से ग्रसित इन मरीजों का भी भरा-पूरा परिवार है. प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों में महिलाओं की संख्या 13 थी जबकि पुरुषों की संख्या सात थी. इसका साफ अर्थ है कि पुरुषों के मुताबिक महिलाओं में रोग से लड़ कर अपना एक अलग मुकाम बनाने की चाह रहती है.

इन एचआइवी पीड़ितों को प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षक तौकीर आलम व रघुनंदन सिंह ने बताया कि बकरी पालन का प्रशिक्षण देने के बाद भी इन लोगों में एक अलग ऊर्जा का संचार देखा गया.

खास कर जब डीएम द्वारा इनको प्रमाणपत्र दिया गया तो वे और भी ज्यादा उत्साहित हुए. आरसेटी के द्वारा स्वरोजगार के दिशा में कराया जा रहा प्रशिक्षण के माध्यम से आज समाज के भटके हुए युवक भी मुख्य धारा में वापस लोट कर अपना रोजगार सृजन कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. आरसेटी के निदेशक श्री शर्मा ने बताया कि एड्स रोगियों के अलावा सामान्य लोगों को भी मुफ्त में प्रशिक्षण दिया जाता है.

इन लोगों को आरसेटी से प्रमाणपत्र दिया जाता है. प्रमाणपत्र के आधार पर एसबीआइ इन्हें ऋण देने की प्रक्रिया में प्राथमिकता बरती है.

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