आज भी सिंघिमारी पंचायत के कई गांव के लोग नाव पर सफर करने को हैं विवश

आज भी सिंघिमारी पंचायत के कई गांव के लोग नाव पर सफर करने को हैं विवश फोटो 18 केएसएन6, नाव पर सफर करते ग्रामीण प्रतिनिधि दिघलबैंक(किशनगंज)प्रखंड के सिंघीमारी पंचायत के कई गांवों में आज भी लोग नाव पर चढ़ कर गंतव्य तक पहुंचते हैं. पलसा, डाकुपाड़ा, बलुआडांगी, कोढ़ोबाड़ी मंदिर टोला इन गांवों में पहुंचने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2015 6:47 PM

आज भी सिंघिमारी पंचायत के कई गांव के लोग नाव पर सफर करने को हैं विवश फोटो 18 केएसएन6, नाव पर सफर करते ग्रामीण प्रतिनिधि दिघलबैंक(किशनगंज)प्रखंड के सिंघीमारी पंचायत के कई गांवों में आज भी लोग नाव पर चढ़ कर गंतव्य तक पहुंचते हैं. पलसा, डाकुपाड़ा, बलुआडांगी, कोढ़ोबाड़ी मंदिर टोला इन गांवों में पहुंचने के लिए सिर्फ नाव ही एक मात्र सहारा है. आजादी के 67 वर्ष बाद भी यहां के गांव वाले 18वीं सदी में जी रहे हैं. इन गांवों को देखने के बाद ऐसा लगता है कि विकास की किरणें यहां पहुंची ही नहीं है. इन सभी गांवों में शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य, शुद्ध पेयजल, पुल एवं यातायात का घोर अभाव है. बीस हजार की आबादी वाले ये सभी गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. वहीं पलसा गांव निवासी जय किशोर सिंह, देवेंद्र कुमार, प्रेम लाल गणेश, मो अतीम, अनसारूल हक, मतीन सहित दर्जनों ग्रामीण बताते है कि किसी व्यक्ति को जिला मुख्यालय या प्रखंड मुख्यालय जाना हो तो सारा दिन जाने में ही लग जाता है. हालांकि नाव पलटने की कई घटना इस नदी में घट चुकी है. इस गांव में अगर किसी व्यक्ति को कोई बीमारी हो जाती है तो उसे यही के लोकल डॉक्टर से इलाज करना पड़ता है. क्योंकि यहां उपस्वास्थ्य केंद्र भी नहीं है. शुद्ध पेयजल की कोई भी योजना इन गांवों में उतरी ही नहीं है. गड्ढे और कीचड़ में तब्दील ये जर्जर कच्ची सड़क इन गांवों की स्थिति से सहज ही आपका परिचय करा देती है. बिजली तो दूर की बात बिजली के खंभे भी इस गांव से कोसों दूर है. यहां के लोग ने जिला प्रशासन का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया है.

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