प्रत्याशियों के लिए किसान नहीं बन रहे चुनावी मुद्दा

प्रत्याशियों के लिए किसान नहीं बन रहे चुनावी मुद्दा प्रतिनिधि, ठाकुरगंज(किशनगंज)विधान सभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है. चुनावी मैदान में डटे प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने के लिए हर संभव कोशिशों में लगे है. मतदाताओं की गोलबंदी के लिए तमाम प्रयास हो रहे है. परंतु कृषि प्रधान इस क्षेत्र में किसानों की बदहाली […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 18, 2015 7:35 PM

प्रत्याशियों के लिए किसान नहीं बन रहे चुनावी मुद्दा प्रतिनिधि, ठाकुरगंज(किशनगंज)विधान सभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है. चुनावी मैदान में डटे प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने के लिए हर संभव कोशिशों में लगे है. मतदाताओं की गोलबंदी के लिए तमाम प्रयास हो रहे है. परंतु कृषि प्रधान इस क्षेत्र में किसानों की बदहाली एवं कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना मुद्दा नही बन पा रहा है. बिहार को चाय एवं अनानास जैसी फसलों के मामले में पहचान दिलाने वाले किशनगंज संसदीय क्षेत्र में इनके उत्पादकों की हितों की बात गौण हो गयी. जुट की बड़े पैमाने पर खेती होने के बावजूद जुट मिल का सपना सपना ही रह गया. क्षेत्र के किसानों की बीच इस बात की गहरी टीस है कि सभी उम्मीदवार किसानों के मुद्दे पर चुप्पी साधे हैं. क्या कहते हैं किसान रूईधासा के जैकी अनवर कहते हैं कि तमाम घोषणाओं के बावजूद जुट मिल नहीं बनने से किसान इस फसल से विमुख हो रहे है. वहीं भोगडावर के जफीर आलम की माने तो नगदी फसल के रूप में किसान मक्का की खेती बृहत पैमाने पर कर रहे है. परंतु मक्का से संबंधित प्रसंस्करण यूनिट क्षेत्र में नही लगने से आने वाले दिनों में किसान परेशान होंगे. कनकपुर के सोहेल अख्तर अनानास की बड़ी पैमाने पर हो रही खेती परंतु संबंधित प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना नही होने के कारण फसल को औने पौने दामों में बेचने की विवशता की बात कहते है. सोहेल की यदि माने तो मुख्यमंत्री ने सेवा यात्रा में अनानास किसानों को बिहार में ही बाजार उपलब्ध करवाने की बात कही थी. परंतु एक वर्ष बीत गये कोई प्रयास नही हुआ. वहीं पटेशरी के मो अकरम चाय किसानों को टी प्रोसेसिंग के अभाव में वाजिब कीमत नही मिलने का रोना रोते है.

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