छोटे दलों के उम्मीदवार बिगाड़ सकते हैं समीकरण
छोटे दलों के उम्मीदवार बिगाड़ सकते हैं समीकरण जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव मैदान में उतर रहे महागंठबंधन व एनडीए प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं छोटे दलों के प्रत्याशी प्रतिनिधि, अररियाजिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव मैदान में उतर रहे छोटे दलों के उम्मीदवारों ने अभी से ही एनडीए और महागंठबंधन […]
छोटे दलों के उम्मीदवार बिगाड़ सकते हैं समीकरण जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव मैदान में उतर रहे महागंठबंधन व एनडीए प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं छोटे दलों के प्रत्याशी प्रतिनिधि, अररियाजिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव मैदान में उतर रहे छोटे दलों के उम्मीदवारों ने अभी से ही एनडीए और महागंठबंधन प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ा दी है. इनमें अधिकांश दलं तो ऐसे हैं जो महज चुनावी मौसम में ही दिखायी दे रहे हैं. इसके बाद भी विधानसभा की सभी सीटों पर उम्मीदवारों के चयन में इन्होंने जो बुद्धिमानी दिखायी है. इससे जिले की सभी सीटों पर एनडीए और महागंठबंधन के उम्मीदवारों के होश उड़ने लगे हैं. दरअसल, इन दलों ने उम्मीदवारों के चयन में बड़े राजनीतिक दलों के बागी नेता और क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखने वाले युवाओं को तरजीह दी है. इससे कुछ जगहों पर इनके उम्मीदवार विरोधियों को सीधी टक्कर देते दिख रहे हैं, तो कुछ जगहों पर चुनाव नतीजों को प्रभावित करने का दम इनमें दिखता है. चुनाव में इन दलों की मौजूदगी ने मुकाबले को और भी दिलचस्प बना दिया है. देखा जाये, तो एक दर्जन से अधिक छोटी पार्टियां इस बार जिला में अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इनमें सोशलिस्ट जनता पार्टी, जनता दल राष्ट्रवादी सहित कुछ अन्य दल, तो दो से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. चुनाव से ठीक पहले बनने वाली पार्टियों में जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक ने, तो जिले की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं. वहीं हिन्दुस्तानी वाम मोरचा के खाते में भी एनडीए गठबंधन खाते की एक सीट गयी है़ इसके अलावा शिवसेना ने भी पहली बार जिले की कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. हालांकि चुनाव से पहले जिला में इन पार्टियों का वजूद काफी कम रहा है. लेकिन उम्मीदवारों के चयन में इनके द्वारा बरती गयी सतर्कता ने अंतिम चरण में जिले में होने वाले चुनाव को रोमांचक बना सकता है.