खानाबाड़ी दुर्गा मंदिर में सबकी मुरादें होती है पूरी प्रतिनिधि, पौआखालीइस जिले में ऐतिहासिक मंदिरों में से एक मंदिर खानाबाड़ी दुर्गा मंदिर भी है. इसकी स्थापना सन 1800 में रानी पद्मावती ने करवायी थी. इस मंदिर में खास बात यह है कि स्थापना काल से ही इस मंदिर में दुर्गापूजा बंगला पंचांग और बंगला पद्धति द्वारा मंदिर के पुरोहित विचाधर ठाकुर करते आ रहे हैं. यहां मां की कृपा भक्तों पर बनी रहती है. जो भी सच्चे मन से खानबाड़ी दुर्गा मंदिर में मन्नत मांगता है मां दुर्गा उसे अवश्य पूरा करती है. दुर्गापूजा में यहां घंटों दुर्गा चंडी पाठ की जाती है. समय से पूर्व व समय के बाद पूजन की परंपरा नहीं है. यहां भव्य आरती की जाती है. यहां भी पाठा बलिदान की परंपरा आरंभ काल से ही जारी है. खानबाड़ी दुर्गा मंदिर पूजा समिति के अध्यक्ष अजय कुमार सिन्हा, माणिक सिन्हा, विष्णु कांत झा, श्याम कांत झा, जीवन सिन्हा, राजदीप सिन्हा, हरि नारायण सिन्हा सहित खानाबाड़ी गांव के नारद लाल दास, संजीव सिन्हा, मंदिर में प्रसाद का वितरण लगातार जारी है. पूरे विधि विधान पूर्वक मंदिर के पुरोहित हरे कृष्ण पाठक पूजा-अर्चना को लेकर तत्पर है. बदरबट्टा, पलासी, अररिया, जिला से आये रास मोहन झा, लाल मोहन झा द्वारा टेंट और लाइट के भव्य और आकर्षक कारीगरी से श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हैं. शाम होते ही पूरा मंदिर रोशनी की चकाचौंध से जगमगा उठता है.
खानाबाड़ी दुर्गा मंदिर में सबकी मुरादें होती है पूरी
खानाबाड़ी दुर्गा मंदिर में सबकी मुरादें होती है पूरी प्रतिनिधि, पौआखालीइस जिले में ऐतिहासिक मंदिरों में से एक मंदिर खानाबाड़ी दुर्गा मंदिर भी है. इसकी स्थापना सन 1800 में रानी पद्मावती ने करवायी थी. इस मंदिर में खास बात यह है कि स्थापना काल से ही इस मंदिर में दुर्गापूजा बंगला पंचांग और बंगला पद्धति […]
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