नहीं पूरी हो पायी कई योजनाएं, जनता किनसे पूछे सवाल

अररिया : विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में पांच नवंबर को जिले के छह विधानसभा क्षेत्र के मतदाता अपने विधायक का चुनाव करने के साथ ही बिहार सरकार के गठन में भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे. जिले के छह विधानसभा क्षेत्र में 16 लाख 60 हजार मतदाता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे. लेकिन कुछ ऐसे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 27, 2015 6:42 PM

अररिया : विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में पांच नवंबर को जिले के छह विधानसभा क्षेत्र के मतदाता अपने विधायक का चुनाव करने के साथ ही बिहार सरकार के गठन में भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे. जिले के छह विधानसभा क्षेत्र में 16 लाख 60 हजार मतदाता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगे.

लेकिन कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिसका जवाब जिले के मतदाता चाहते हैं. लेकिन इन प्रश्नों का जवाब कोई भी नेता देते नहीं दिखते. जिले के एक विधानसभा सीट को छोड़ अन्य पांच विधानसभा सीटों पर पार्टियों ने पुराने प्रत्याशियों को टिकट नहीं दिया. टिकट नहीं देने के पीछे कारण जो भी रहा हो. लेकिन इससे मतदाताओं की उम्मीद पूरी नहीं करने वाले प्रतिनिधि से सवाल पूछने की आस धरी की धरी रह गयी. जिले के सभी विस क्षेत्र में कुछ ऐसे काम जो शुरू तो हुए लेकिन अपने अंजाम तक नहीं पहुंचे.

ये मुद्दे मतदाताओं के धड़कन को तेज कर देते हैं. अररिया गलगलिया रेल परियोजना इस रेल परियोजना के पूरा होने के बाद सीमांचल के दो पिछड़े जिलों( अररिया-किशनगंज) को विकास की नयी रोशनी मिल सकती थी. जानकारी अनुसार दस अक्तूबर 2007 को तत्कालीन रेल मंत्री के द्वारा रेल परियोजना की आधार शिला रखी गयी थी. 108 किलोमीटर लंबी इस रेल परियोजना के लिए 2009 में 529 करोड़ रुपये के बजट को भी मंजूरी मिली थी. इस परियोजना के पूरे होने के साथ ही जिले के सिकटी, जोकीहाट व फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र के लगभग छह लाख आबादी को फायदा मिल सकता था,

लेकिन आज भी यह परियोजना फाइलों में बंद पड़ी हुई है. रेल लाइन बिछाने के लिए पांच पुलों का होना था निर्माणप्रस्तावित रेल परियोजना के लिए लगभग सभी कुछ तय हो चुका था. नदियों की संख्या को देखते हुए 108 किलोमीटर की इस रेल परियोजना में पटरी को बिछाने के लिए पांच पुलों की आवश्यकता पर बल दिया गया था. इसकी स्वीकृति भी मिल चुकी थी.

पौआखाली व ठाकुरगंज के बीच पांच रेल ब्रिज का निर्माण होना था. इसके लिए लगभग साढ़े 19 करोड़ का प्राक्कलन बनाया गया था. 14 हाल्ट व सात रेलवे स्टेशन बनाने की भी योजना प्रस्तावित थी, लेकिन योजना को अब तक अमली जामा पहनाने में हुए विलंब का जवाब देने के लिए कोई भी नेता सामने तक नहीं आ रहे हैं.कई योजनाओं पर लगा है ग्रहण अररिया गलगलिया रेल परियोजना की तरह जिले में कई और मुद्दे हैं जिनका जवाब जनता नेताओं से खोज रही है.

ऐसी ही स्थिति दीपेल में निर्माणाधीन विद्युत परियोजना की है. इसके निर्माण की प्रक्रिया भी ढाई वर्ष से ठप पड़ी हुई है. कुर्साकांटा व सिकटी प्रखंड को जोड़ने वाले पड़ड़िया घाट पर बन रहा पुल. फारबिसगंज-सहरसा रेलखंड का आमान परिवर्तन का कार्य व सिकटी एवीएम पथ पर हो रहे रानी पुल का निर्माण कार्य आदि की भी ऐसी ही स्थिति है. इन योजनाओं पर लगे ग्रहण के बारे में जनता नेताओं से जवाब चाह रही है.

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