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प्रकाश पर्व से जुड़ी हुई हैं कई दंत कथाएं

छत्तरगाछ (किशनगंज): दीपावली भारत का महत्वपूर्ण पर्व है. इस पर्व को संपूर्ण देश के लोग हर्ष और उत्साह से मनाते हैं. दीपावली पर्व ज्यों-ज्यों नजदीक आता जा रहा है हिंदू समुदाय के लोगों का उत्साह बढ़ता जा रहा है. लोग दीपावली आने से पहले ही अपने घर आंगन और पास पड़ोस की सफाई प्रारंभ कर […]

छत्तरगाछ (किशनगंज): दीपावली भारत का महत्वपूर्ण पर्व है. इस पर्व को संपूर्ण देश के लोग हर्ष और उत्साह से मनाते हैं. दीपावली पर्व ज्यों-ज्यों नजदीक आता जा रहा है हिंदू समुदाय के लोगों का उत्साह बढ़ता जा रहा है. लोग दीपावली आने से पहले ही अपने घर आंगन और पास पड़ोस की सफाई प्रारंभ कर देते हैं.

जानकारी के मुताबिक दीपावली पर्व हर वर्ष कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है. तैयबपुर निवासी 50 वर्षीय पंडित विद्याधर झा कहते है कि इस पर्व के पीछे भी कई धार्मिक कथाएं जुड़ी है. पहली कथा के मुताबिक श्रीरामचंद्र 14 वर्ष वनवास भोग कर और रावण का वध करके अयोध्या लौटे. श्रीराम के शुभ आगमन की खुशी में अयोध्या वासियों ने अपने घर आंगन को दीपों से सजाया था. इसी घटना की याद में हर वर्ष दीपावली का पर्व मनाया जाता है. दूसरी कथा के मुताबिक इसी दिन श्रीकृष्ण ने दुर्दांत नरकासुर का वध किया था और उस खुशी में लोगों ने दीप जला कर उनका स्वागत किया था. तीसरी कथा महाकाली से संबंधित है. राक्षसों को समूल नष्ट करने के बाद भी महाकाली का क्रोध शांत नहीं हो रहा था और संपूर्ण सृष्टि विनाश के निकट आ गयी थी. उसी समय भगवान शंकर ने महाकाली की राह अवरूद्ध कर उनका क्रोध शांत किया.

कहा जाता है कि इसी समय से दीपावली मनायी जाती है. इसलिए इस अवसर पर महाकाली की पूजा की जाती है और कहीं-कहीं महाकाली की विशाल प्रतिमा भी स्थापित कर लोग पूजा करते है. पंडित श्री विद्याधर झा कहते हैं कि इस पर्व पर अमावस्या शाम को सात बजे लगने के कारण दो नवंबर को काली पूजा तथा दूसरे दिन नवंबर को लक्ष्मी पूजा की जायेगी. किसान इसी दिन अपने धनसार की पूजा करके दरिद्रता को बाहर और लक्ष्मी को अंदर करते हैं.

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