दीये की जगह चाइनीज बल्ब हावी
दीये की जगह चाइनीज बल्ब हावी प्रतिनिधि, फारबिसगंजभारतीय त्योहार व पर्व के बहाने चीन निर्मित सामान अर्थात चाइनीज बल्ब व लड़ी से फारबिसगंज शहर पट सा गया है. एक तरफ मेक इन इंडिया की बात होती हो बावजूद स्थानीय बाजारों में चाइनीज सस्ते सामान की भरमार मुंह चिढ़ाने का काम कर रही है. इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स […]
दीये की जगह चाइनीज बल्ब हावी प्रतिनिधि, फारबिसगंजभारतीय त्योहार व पर्व के बहाने चीन निर्मित सामान अर्थात चाइनीज बल्ब व लड़ी से फारबिसगंज शहर पट सा गया है. एक तरफ मेक इन इंडिया की बात होती हो बावजूद स्थानीय बाजारों में चाइनीज सस्ते सामान की भरमार मुंह चिढ़ाने का काम कर रही है. इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स लाइटों के अलावा पूजा में बल्ब के दीये व लड़ी हावी है. विशेष कर चाइनीज लाइटों से बाजार पटा हुआ है. दीपावली जैसे पर्व में जहां पुराने काल से मिट्टी के दीये जलाने का प्रचलन था जिसकी अस्मिता विलोपित होने के कगार पर है. कहा जाता है कि मिट्टी के दीया जलने से कीड़े-मकोड़े का नाश होता था. लेकिन अब वह मिट्टी का दीया इक्का-दुक्का ही नजर आता है, जिससे अपनी पुरानी संस्कृति व प्रथा पर ग्रहण लगता दिख रहा है. मदन कुम्हार कहते हैं कि दीया पहले से कम बना रहे परंतु उसे भी लेने वाला नहीं के बराबर है, जिससे दीया बेच कर रोजी-रोटी का भी संकट आ गया है. हमलोग पर्व में थोड़े दीया बना कर भी संशय में रहते हैं.