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धूम धाम से मना भैया दूज

धूम धाम से मना भैया दूजफोटो:1- भाई को टीका लगाती बहन.प्रतिनिधि, अररिया मिथिलांचल में भातृ द्वितीया या भैया दूज को काफी अहमियत दी जाती है. इस पर्व को लेकर काफी उत्साह देखा गया. भाई अपनी बहन के यहां जाते हैं. बहन नये वस्त्र पहन कर अपने भाई के ललाट पर तिलक लगाती है और उनके […]

धूम धाम से मना भैया दूजफोटो:1- भाई को टीका लगाती बहन.प्रतिनिधि, अररिया मिथिलांचल में भातृ द्वितीया या भैया दूज को काफी अहमियत दी जाती है. इस पर्व को लेकर काफी उत्साह देखा गया. भाई अपनी बहन के यहां जाते हैं. बहन नये वस्त्र पहन कर अपने भाई के ललाट पर तिलक लगाती है और उनके लंबी उम्र की कामना भगवान से करती है. इस पर्व को लेकर भाई-बहन दोनों में काफी उत्साह रहता है. भाई-बहन के संवेदनशील व स्नेहिल संबंधों की डोर को मजबूती देने के साथ रिश्ते की भावनाओं की गहराई को प्रदर्शित करती है. भातृ द्वितीया को लेकर शहर से लेकर गांव तक मंगलवार को उत्सवी माहौल रहा. इस दौरान उन बहनों की आंखों में उदासी भी रही जिसे सगा भाई नहीं है. बहरहाल, लोक परंपराओं का पर्व भातृ द्वितीया को ले भाई-बहनों का उत्साह चरम पर था. इस दौरान सभी बहनें आंगन में अल्पना के बीच थाली में पान, करमी का लत, पान-सुपारी अपने भाई के हाथ में रख कर जलार्पण करती है. भाई के माथे पर तिलक लगा कर दीर्घायु होने, सुख-समृद्धि की कमाना बहनों द्वारा की जाती है. बहन अपने भाई का मुंह मीठा कराती है. इसको ले मंगलवार को चहुंओर उमंग देखा गया. कब मनाया जाता है भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के स्नेह को सुदृढ़ करता है. यह त्योहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है. हिंदू धर्म में भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक दो त्योहार मनाये जाते हैं. एक रक्षा बंधन जो श्रावण मास में मनाया जाता है, दूसरा भाई दूज कार्तिक मास के द्वितीया को मनाया जाता है. इसमें बहनें अपने भाई के लंबी आयु के लिए यमराज या यमुना का पूजन करती हैं. भैया दूज के दिन बहनें अपने भाई के ललाट पर टीका लगाती हैं. क्या है मान्यता भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था. उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था. यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी. वह उससे निवेदन करती थी कि इष्ट मित्रों के साथ उसके घर आकर भोजन करे. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहे. कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमुना ने यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर वचनबद्ध कर लिया. यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस श्रद्धा से मुझे बुला रही है उसका पालन करना मेरा धर्म है. बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वालों जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देख कर यमुना बेहद प्रसन्न हुई. उसने स्नान कर पूजन करके भोजन परोस कर यमराज को भोजन करायी. यमुना द्वारा किये गये आतिथ्य से यमराज प्रसन्न होकर वर मांगने को कहा. यमुना ने यमराज से कहा कि प्रति वर्ष इस दिन आप मेरे घर आया करो. मेरी तरह जो भी बहनें इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे उसे आपका भय न हो. यमराज तथास्तु कह कर यमलोक के लिए पधार गये. इसके बाद से ही यह परंपरा बन गयी. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई अपने बहन के घर जाता है और बहनें उसका आतिथ्य करती हैं.

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