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आचार्य तुलसी थे मानवता को समर्पित : यशोमती

आचार्य तुलसी थे मानवता को समर्पित : यशोमती फोटो 15 केएसएन 1प्रवचन देती साध्वी यशोमती व अन्य. प्रतिनिधि, किशनगंजबिहार शांतिदूत महातपस्वी आचार्य महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी यशोमती ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि गुरुदेव तुलसी ने दूज के दिन इस पुण्य धरा पर जन्म लिया. इसका चांद निष्क कलंक होता है. वह […]

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आचार्य तुलसी थे मानवता को समर्पित : यशोमती फोटो 15 केएसएन 1प्रवचन देती साध्वी यशोमती व अन्य. प्रतिनिधि, किशनगंजबिहार शांतिदूत महातपस्वी आचार्य महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी यशोमती ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि गुरुदेव तुलसी ने दूज के दिन इस पुण्य धरा पर जन्म लिया. इसका चांद निष्क कलंक होता है. वह सदैव बढ़ता रहता है. इसके चांद की सब इंतजार करते हैं. ये तीनों सद्गुण गुरुदेव श्रीतुलसी के जीवन में साक्षात थे. गुरुदेव तुलसी साधना के शिखर पुरुष शलाका महापुरुष थे. गणाधिपति श्री तुलसी तेजस्वी महापुरुष थे. जो उनके चरणों में आते निहाल हो जाते भक्त बन जाते, वे आगत भक्त के प्रश्नों को समाहित कर दिया करते थे. उनका व्यक्तित्व कर्तव्य नेतृत्व वक्तृत्व सब कुछ अलौकिक था, सृजन धर्मा तुलसी ने मानव जाति के उन्नयन के लिए ” अणु्रवत आंदोलन” का प्रवर्तन किया. जो सर्व जनहिताय सर्वजन सुखाय था. उनका सुयश सात समंदर पार पहुंचा क्योंकि वे पदयात्रा द्वारा घर नैतिकता अहिंसा नशा मुक्ति की सम्यक चेतना का जागरण करने वाले विशिष्ट राष्ट्रसंत थे. देश के शिखर पुरुष उनसे मार्गदर्शन पाने को लालायित थे. देश राष्ट्र हित में उनका चिंतन मौलिक दिशा दर्शन देने वाला होता था. साध्वी श्री रचना श्री जी ने अपने संयोजकीय वक्तव्य में कहा भारत देश ऋषि प्रधान रहा है. इस भू धारा पर समय समय पर महापुरूषों ने जन्म लिया. उन महान पुरुषों में एक नाम था आचार्य तुलसी. साध्वजी जी ने गुरुदेव श्री तुलसी के जीवन दर्शन की संक्षिप्त झांकी प्रस्तुत करते हुए कहा कि वे महापुरूष थे. आचार्य श्री तुलसी का महत्वपूर्ण अवदान अणुव्रत. यहां पर महिला मंडल के सशक्त प्रयास से लगभग 142 श्रावक साज ने बारह व्रत स्वीकार किये है. अणुव्रत लक्ष्य है चारित्रिक उत्थान का प्रयत्न. उन्होंने संघीय विकास के साथ साथ राष्ट्रहित हेतु यह अवदान दिया. वे अवदानो से अमर हो गये. अणुव्रत दृश्य परिवर्तन करने में सक्षम, मनुष्य बनाने की प्रेरणा देने एवं नशा मुक्त जीने की कला सिखाता है. बढ़ते समस्याओं के दौर का सटीक समाधान अणुव्रत है. तुलसी अष्टकम साध्वी वृंद द्वारा मंडल संगान से कार्यक्रम शुरु हुआ. किशनगंज सभाध्यक्ष तोलालराम छाजेड़, मोहन व्यास, अणुव्रत समिति सचिव कमज कोठारी, अध्यक्ष राज करण दफ्तरी, कांता दफ्तरी आदि उपस्थित थे. ज्ञान शाला एवं कन्याओं ने मिलावट पर सुंदर क व्वाली प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. बहनों ने राष्ट्र संत को करें प्रणाम गति समवेत स्वर में प्रस्तुत किया. साध्वजी श्री किरण माला जी एवं जयंत यशा ने क्रमश: गीत, कविता प्रस्तुत किया.

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