राशि निकासी के 18 माह बाद हुई छत की ढलाई
राशि निकासी के 18 माह बाद हुई छत की ढलाईप्रभात खबर में छपी खबर का दिखा असरमास्टर रोल व वाउचर जमा किये बगैर हुई थी तीन लाख 75 हजार रुपये की निकासी फोटो-11-की जा रही है भवन की ढलाई प्रतिनिधि,अररिया अररिया प्रखंड मुख्यालय में अर्ध निर्मित पड़े राजीव गांधी सेवा केंद्र भवन के छत का […]
राशि निकासी के 18 माह बाद हुई छत की ढलाईप्रभात खबर में छपी खबर का दिखा असरमास्टर रोल व वाउचर जमा किये बगैर हुई थी तीन लाख 75 हजार रुपये की निकासी फोटो-11-की जा रही है भवन की ढलाई प्रतिनिधि,अररिया अररिया प्रखंड मुख्यालय में अर्ध निर्मित पड़े राजीव गांधी सेवा केंद्र भवन के छत का ढलाई कार्य विभागीय आदेश के बाद आखिरकार शनिवार को पूरा हो पाया. पिछले डेढ़ वर्षों से इस भवन का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ था. 31 अगस्त 2015 को मनरेगा की समीक्षात्मक बैठक में उप विकास आयुक्त अरशद अजीज ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा कराने का निर्देश तत्कालीन कार्यक्रम पदाधिकारी को दिया था. डीडीसी के निर्देश के बाद वर्षों से रुके कार्य का काम प्रारंभ हो पाया. डीडीसी के समीक्षात्मक बैठक में इस भवन के निर्माण कार्य में एमबी से अधिक पौने चार लाख की राशि के निकासी का मामला प्रकाश में आया था. राजीव गांधी सेवा केंद्र भवन के निर्माण प्रक्रिया में अनियमितता बरते जाने व भवन निर्माण की प्रक्रिया को अधर में लटके हाने की खबर को प्रभात खबर ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. प्रभात खबर में छपी खबर के बाद विभाग हरकत में आया और बचे हुए राशि से भवन की ढलाई का कार्य पूरा हो पाया.काम से ज्यादा राशि की हुई थी निकासी वित्तीय वर्ष 2013- 14 में राजीव गांधी सेवा केंद्र का निर्माण प्रारंभ हुआ था. डीडीसी ने मनरेगा की समीक्षात्मक बैठक में पाया कि योजना के अनुरूप व एमबी के अनुसार काम से ज्यादा राशि की निकासी कर ली गई है. भवन के निर्माण कार्य से ज्यादा 15 लाख 60 हजार रुपये की राशि का निकासी कर ली गयी थी जबकि एम बी के अनुसार 11 लाख 87 हजार रुपये का ही काम हुआ था. डीडीसी ने वर्तमान कार्यक्रम पदाधिकारी को एक सितंबर तक भवन का शेष कार्य को पूरा करने का निर्देश दिया. हालांकि एक सितंबर तक कार्य पूरा नहीं हो पाया लेकिन विभागीय दबाव के बाद तत्कालीन कार्यक्रम पदाधिकारी के द्वारा पौने चार लाख की राशि का समायोजन वर्तमान कार्यक्रम पदाधिकारी को किया गया. विभाग के निर्देश के बाद कार्यपालक अभियंता की देख रेख में शनिवार को अधर में लटके भवन का ढलाई कार्य पूर्ण हुआ.भवन के एमबी को लेकर फंस सकता है तकनीकी पेच मनरेगा भवन निर्माण कार्य में निकाली गई राशि के 18 माह बाद भवन का ढलाई कार्य पूरा हो पाया है. जबकि मनरेगा के नियमानुसार मास्टर रौल, वाउचर के बाद ही एमबी बुक किया जाता है. आखिर बिना मास्टर रौल तैयार किये और वाउचर दिये बिना राशि की निकासी किस प्रकार कर ली गई . जबकि सरकारी आदेश के अनुसार निर्माण कार्य में बचे राशि को 30 मार्च तक सरकार के खाता में जमा करने का निर्देश दिया गया था. क्या कहते हैं कार्यपालक अभियंताकार्यपालक अभियंता सेरेश प्रसाद सिंह ने बताया कि उनकी देखरेख में भवन का ढलाई कार्य गुणवत्ता के साथ किया गया है. जहां तक एमबी बुक करने की बात है तो इसके लिए सारी प्रक्रिया का बारीकी के साथ ध्यान दिया जायेगा. हालांकि मास्टर रौल और वाउचर दिये बगैर ही राशि की निकासी की गई थी. पहले की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है. एमबी बुक करने को लेकर डीडीसी से मार्गदर्शन मांगा जायेगा.