अररियाकोई आदेश या अधिसूचना न होने के बावजूद निबंधन शुल्क में बढ़ोतरी केवल राज्य के कुछ बड़े जिलों तक ही सीमित नहीं है. बल्कि अररिया जैसे पिछड़े जिलों में भी यही सिलसिला शुरू हो चुका है.
इसके लिए जिला मुख्यालय स्थित निबंधन कार्यालय में एमवीआर के मूल्य में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी की सूचना भी चिपका दी यी है. सूचना में विभागीय निर्देश का हवाला तक दिया गया है. वहीं दिलचस्प ये कि इस मामले मंें निबंधन पदाधिकारी का रवैया हैरत में डालने वाला है. एक तरफ जहां उन्होंने ऐसे किसी विभागीय आदेश से इनकार किया.
वहीं ये भी कबूला कि प्रत्येक दलील पर शुल्क में कुछ बढ़ोतरी के लिए कहा गया है. दूसरी तरफ निबंधन कार्यालय के कुछ दस्तावेज नवीसों ने गुरुवार को शुल्क में बढ़ोतरी की बाबत पूछे जाने पर इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि एमवीआर में 20 प्रतिशत बढ़ा कर शुल्क नहीं लिया जा रहा है.
लेकिन प्रत्येक दलील पर तीन से चार हजार रुपये जरूर बढ़ा कर दस्तावेज जमा किया गया है. एक दस्तावेज नवीस ने बताया कि वर्तमान एमवीआर के मुताबिक अगर 50 हजार शुल्क होना चाहिए तो निर्देशानुसार 55 हजार लिया जा रहा है. इस मामले में निबंधन पदाधिकारी जमुना प्रसाद का रवैया बहुत अजीब दिखा.
कार्यालय में चिपकायी गयी सूचना के बाबत पहले तो उन्होंने ये कह कर टालना चाहा कि ऐसा कोई विभागीय निर्देश नहीं है. फिर बार बार पूछे जाने पर झुंझलाते कहा कि जो लिखना हो लिख दीजिए. फिर मामले की गंभीरता महसूस करते ही सफाई देने पर उतर आये. कहने लगे सूचना यूं ही चिपका दी गयी है.
एमवीआर में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी नहीं की गयी है. लेकिन विभाग के टारगेट पूरा करने के दबाव को देखते हुए प्रत्येक दलील पर तीन-चार हजार रुपये शुल्क बढ़ा कर लेने को कहा गया है. ऐसा ही हो रहा है.