जिला अभिलेखागार: आधे अधूरे हैं रिकार्ड, बैरंग लौटना पड़ता है भू-धारियों को
जिला अभिलेखागार: आधे अधूरे हैं रिकार्ड, बैरंग लौटना पड़ता है भू-धारियों को लगभग 25 प्रतिशत राजस्व मौजा का नहीं है कोई लेखा जोखाअभिलेखों के फटे हैं पन्ने , कार्यालय में कर्मियों की भी कमीनरपतगंज व फारबिसगंज छोड़ अन्य अंचलों का हाल बुराप्रतिनिधि, अररियाअररिया को जिला बने लगभग 23 साल बाद जिला लेखागार ने काम करना […]
जिला अभिलेखागार: आधे अधूरे हैं रिकार्ड, बैरंग लौटना पड़ता है भू-धारियों को लगभग 25 प्रतिशत राजस्व मौजा का नहीं है कोई लेखा जोखाअभिलेखों के फटे हैं पन्ने , कार्यालय में कर्मियों की भी कमीनरपतगंज व फारबिसगंज छोड़ अन्य अंचलों का हाल बुराप्रतिनिधि, अररियाअररिया को जिला बने लगभग 23 साल बाद जिला लेखागार ने काम करना तो शुरू कर दिया. पर दो साल बाद भी जिला अभिलेखागार से आवश्यक दस्तावेज प्राप्त करना भू-धारियों के लिए अब भी टेढ़ी खीर साबित हो रही है. सबसे दिक्कत यह है कि जिले के सैकड़ों राजस्व मौजा का काई अभिलेख अभिलेखागार में उपलब्ध ही नहीं है. वहीं बहुत सारे अभिलेख ऐसे हैं जो आधे-अधूरे हैं. क्योंकि उनके पन्ने फटे-चिटे हैं. ऐसी परिस्थिति में कार्यालय में पदस्थापित कर्मियों को खतियान व अन्य दस्तावेज उपलब्ध करवाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कार्यालय में कर्मियों की कमी से समस्या और भी बढ़ गयी है.दो वर्ष पूर्व शुरू हुआ है अररिया का अभिलेखागार गौरतलब है कि समाहरणालय में जिला अभिलेखागार चालू हुए लगभग दो साल हो चुके हैं. माना जा रहा था कि जिला अभिलेखागार शुरू होने के बाद जिलेवासियों को खतियान आदि के लिए पूर्णिया का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. कुछ हद तक ऐसा हुआ भी. पर रिकार्ड की अनुपलब्धता के कारण बहुत सारे भू-धारियों को अभिलेखागार से बैरंग लौटना पड़ता है. उन्हें ये कह कर लौटा दिया जाता है कि अभिलेखागार में संबंधित मौजा का अभिलेख है ही नहीं. दिक्कत की बात ये है कि ऐसे बहुत सारे रिकार्ड अंचल कार्यालयों में भी नहीं हैं.जिले के 175 मौजा का अभिलेख नहीं है उपलब्ध जिला अभिलेखागार कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले में कुल 749 राजस्व मौजा है. पर सभी नौ अंचलों को मिला कर लगभग 175 मौजा का अभिलेख उपलब्ध ही नहीं हो पाया है. फारबिसगंज व नरपतगंज अंचलों के अधिकांश मौजा के अभिलेख तो उपलब्ध है. वहीं इस मामले में सबसे अधिक प्रभावित रानीगंज व भरगामा अंचल हैं. इन दोनों अंचलों की एक और समस्या ये है कि जो वाल्यूम उपलब्ध हैं, उनके भी पेज फटे-चिटे हैं. कुर्साकांटा अंचल का हाल भी बुरा है. इसी प्रकार जोकीहाट व अररिया अंचल के कुछ हिस्सों का अभिलेख नहीं है. बताया गया कि धाराबिट्टा, देवस्थल, डुमरा, कजरा, लक्ष्मीपुर चंदा, बीरनगर मिलकी, सुकेल, हृदयपुर, किसमत जमुआ, भाग पुरैनी, झमटा, सतघडा, कामत सतबिटा, सुकसैना कुछ ऐसे ही राजस्व मोजा हैं जिनका कोई अभिलेख नहीं है. पूछे जाने पर कार्यालय में पदस्थापित सहायक ने बताया कि पूर्णिया से इतने अभिलेख भेजे गये हैं. पूर्णिया कार्यालय में भी अररिया जिले का नहीं है कोई अभिलेख पूर्णिया कार्यालय का कहना है कि अब वहां जिले का कोई और अभिलेख नहीं है. बताया गया कि कुछ अभिलेख तो अंचलों से मंगवा का आवेदक को मुहैया कराया जाता है. पर बहुत सारे अभिलेख संबंधित अंचलों में भी नहीं हैं. वहीं बताया जाता है कि अभिलेखागार में कर्मियों की भी कमी है. केवल एक सहायक व दो चतुर्थवर्गीय कर्मचारी से ही काम चलाया जा रहा है. जानकारों का कहना है कि अभिलेख की प्रति प्राप्त करने में महीनों लग जाते हैं. वहीं इस बाबत कार्यालय के सहायक ने बताया कि विधानसभा चुनाव के कारण कुछ बैकलॉग हो गया है. पर कोशिश की जा रही है कि बैकलॉग खत्म हो. आम तौर पर आवेदन देने के बाद सप्ताह से दस दिनों के भीतर खतियान उपलब्ध करा दिया जाता है.