दारोगा संजीव की मौत को याद कर सिहर उठते हैं लोग

दारोगा संजीव की मौत को याद कर सिहर उठते हैं लोग – बौआ राय की गिरफ्तारी न होना, पुलिस प्रशासन के साख पर लगा बट्टा प्रतिनिधि, अररिया पुलिस परिवार के लोग ही नहीं, आम-अवाम भी एक दर्द सीने में सहेज कर वर्ष 2015 को अलविदा करेंगे. 14 जुलाई की शाम जब एक जांबाज दारोगा की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 24, 2015 6:37 PM

दारोगा संजीव की मौत को याद कर सिहर उठते हैं लोग – बौआ राय की गिरफ्तारी न होना, पुलिस प्रशासन के साख पर लगा बट्टा प्रतिनिधि, अररिया पुलिस परिवार के लोग ही नहीं, आम-अवाम भी एक दर्द सीने में सहेज कर वर्ष 2015 को अलविदा करेंगे. 14 जुलाई की शाम जब एक जांबाज दारोगा की हत्या अपराधियों ने कर दिया था. भरगामा के तत्कालीन थानाध्यक्ष प्रवीण कुमार की हत्या व पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लाया गया शव को देख सह कर्मियों व गुस्सा फूट पड़ा था. डीआइजी खामोशी के साथ आक्रोशित लहजे को खामोशी से सुन रहे थे. तत्कालीन एसपी लगातार कह रहे थे कि हमारा क्या कसूर है. दारोगा प्रवीण कुमार के पिता रिटायर्ड हवलदार दयानंद सिंह की दहाड़ मार-मार कर रोने से अस्पताल परिसर में गमगीन माहौल के बीच बूंदा-बंूदी हो रही थी. जैसे आसमान भी प्रवीण कुमार जैसे जांबाज दारोगा की हत्या को ले रो रहा हो. सबसे अहम यह कि हत्या का मुख्य आरोपी बौआ राय को अब तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी. इस घटना को ले आज भी सहकर्मी सहम उठते हैं. वर्ष 2015 के 17 दिसंबर को पूर्णिया में पदस्थापित दारोगा व अररिया के लाल संजीव कुमार रजक की मौत सड़क दुर्घटना में हो गयी. जब उसका शव अररिया आया तो न सिर्फ सहकर्मी बल्कि आम लोग भी रो पड़े. 2009 बैच के दारोगा संजीव के शव को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. जब पुलिस क्लब में एसपी सहित अन्य सहकर्मियों ने सलामी दी व पुष्प-गुच्छ अर्पित किया तो मौजूद लोगों की आंखें भर आयी थी. अपने मृदुल व्यवहार के लिए संजीव की खास पहचान शहर व समाज में थी. लोगों ने इस आंखों से उसे अंतिम विदाई दी. बितते 2015 में यह दोनों दुखद घटना को याद कर जिला वासी आज भी सिहर उठते हैं. प्रवीण का हत्यारा बौआ राय की गिरफ्तारी अब तक न होने से पुलिस प्रशासन के साख पर बट्टा जरूर लगा दिया है.

Next Article

Exit mobile version