भूकंप के लिए दशकों तक याद आता रहेगा बीता साल

अररिया : यूं तो बीतने वाला वर्ष 2015 जिले वासियों के लिए कई खट्टे-मीठे अनुभव छोड़ गया. पर 25 अप्रैल को आये भूकंप के झटके जिले वासियों को दशकों तक याद आते रहेंगे. कहने को तो भूकंप नेपाल के काठमांडू के करीब लामजुंग जिले में आया था. पर तीव्रता इतनी तेज थी कि वहां से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2015 6:54 AM

अररिया : यूं तो बीतने वाला वर्ष 2015 जिले वासियों के लिए कई खट्टे-मीठे अनुभव छोड़ गया. पर 25 अप्रैल को आये भूकंप के झटके जिले वासियों को दशकों तक याद आते रहेंगे. कहने को तो भूकंप नेपाल के काठमांडू के करीब लामजुंग जिले में आया था. पर तीव्रता इतनी तेज थी कि वहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर जिले का कमोबेश पूरा क्षेत्र हिल कर रहा गया था.

आलम ये है कि आज भी उस भूकंप को याद कर जिलावासी सिहर उठते हैं. गौरतलब है कि नेपाल में आये भूकंप के झटकों ने जहां नेपाल में जान माल को भारी नुकसान पहुंचाया था. वहीं जिले में भी कई लोगों की मौत की खबरें आयी थी. मिली जानकारी के अनुसार जिले में कुछ लोग भूकंप के झटकों के कारण दीवार आदि से गिरने से तो कुछ लोग दहशत के कारण जान गंवा बैठक थे. वैसे जिला प्रशासन ने भूकंप के कारण छह लोगों की मौत की पुष्टि करते हुए अनुग्रह अनुदान की राशि का वितरण किया था.

जिला आपदा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिन मृतकों के परिजनों को मुख्यमंत्री अनुदान योजना व प्रधानमंत्री राहत कोष से सहायता राशि दी गयी थी, उन में जोगबनी नप की मुनरी देवी, फारबिसगंज के खैरखाह पंचायत की उर्मिला देवी, रमै वार्ड संख्या आठ की इंदु देवी, झिरवा वार्ड संख्या 15 की सावित्री देवी, डेहटी भंगोरा टोला के मो रफी, जागी परासी, कुर्साकांटा के कुमोद कुमार यादव शामिल हैं. वहीं आपदा कार्यालय ने छह लोगों के आंशिक रूप से घायल होने की भी पुष्टि की थी. दूसरी तरफ 25 व 26 अप्रैल को आये भूकंप के झटकों ने समाहरणालय भवन सहित कई सरकारी व निजी इमारतों को भी नुकसान पहुंचाया था.

समाहरणालय भवन के ऊपरी मंजिल पर तो कई जगी बड़ी बड़ी दरारें पड़ गयी थीं. दिलचस्प ये है कि समाहरणालय भवन में आयी दरारों ने भवन की सुरक्षा को लेकर अधिकारियों से लेकर कर्मियों तक को खौफजदा कर दिया था. दहशत का आलम ये था कि स्थिति सामान्य होने के बाद भी तत्कालीन एसपी अपने कार्यालय में बैठने को तैयार नहीं हुए.

वे जब तक जिले में रहे अपना कार्यालय दूसरे भवन में चलाते रहे. बताया जाता है कि शहर से लेकर गांव तक कई सरकारी व निजी भवनों को भी आंशिक क्षति पहुंची थी. जबकि विद्यालयों, बैंकों व अन्य संस्थाओं में भी अफरातफरी मच गयी थी. हालांकि इस हादसा को गुजरे लगभग आठ माह बीत चुके हैं, पर जिलेवासी इसे भूल नहीं पाये हैं. शिवपुरी निवासी संजय राय, दवा व्यवसायी सउद आलम कहते हैं कि दहशत अब भी कायम है. वो दृश्य सोच कर ही बदन में सिहरन पैदा हो जाती है.

दोपहर लगभग 12 बजे का समय होगा. अचानक धरती डोलने का एहसास होने लगा. पूरा घर हिलता हुआ महसूस हुआ. टेबुल कुरसी सब कुछ हिलने लगा. लोग सड़कों की ओर भागे. देखते ही देखते सड़कें लोगों से भर गयीं. हर शख्स बदहवास था. कई दिनों तक झटके आते रहे थे. पर दहशत महीनों रही. बताया जाता है कि आजाद एकेडमी मोड पर पान की दुकान चलाने वाले श्री सिंह भूकंप के दहशत से महीनों बीमार रहे.

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