नहीं बदली पौआखाली बाजार की सूरत

नहीं बदली पौआखाली बाजार की सूरत पौआखाली. विकास में पिछड़ा पौआखाली बाजार आज भी अपने उद्धारक की तलाश में है. लोगों को यह आशा थी कि वर्ष 2015 में शायद यहां की तस्वीर बदलेगी. लेकिन ऐसा नही हो सका जिससे आम जनों में निराशा है. ठाकुरगंज प्रखंड मुख्यालय के बाद पौआखाली ही एकमात्र लाखों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 9, 2016 8:47 PM

नहीं बदली पौआखाली बाजार की सूरत पौआखाली. विकास में पिछड़ा पौआखाली बाजार आज भी अपने उद्धारक की तलाश में है. लोगों को यह आशा थी कि वर्ष 2015 में शायद यहां की तस्वीर बदलेगी. लेकिन ऐसा नही हो सका जिससे आम जनों में निराशा है. ठाकुरगंज प्रखंड मुख्यालय के बाद पौआखाली ही एकमात्र लाखों की आबादी का मुख्य व्यापारिक केंद्र है. जहां से लोग अपनी जरूरत का सामान खरीद-फरोख्त करते है. बावजूद यह क्षेत्र प्रशासनिक स्तर पर उपेक्षा का शिकार रह है. बाजार से सटे मुहल्लों में सड़कों की हालत खस्ता है. न तो सड़कों का निर्माण कराया गया है और न तो सड़कों के किनारे नालों की व्यवस्था ही हो पायी है. मुख्य बाजार में एक अदद शौचालय की मांग वर्षों से हो रही है परंतु व्यवस्था नदारद है. पेयजल की समस्या यहां गंभीर है पेयजल की दिशा में इसकी सामूहिक व्यवस्था को लेकर प्रशासनिक उदासीनता लगातार बनी हुई है. इसी तरह बिजली संकट से यह बाजार प्राय: जुझता रहता है. लगभग पांच दशकों से इस बाजार की जर्जर तार व पोलों को विभाग आज तक नही बदला है. आबादी के हिसाब से ट्रांसफर्मर की व्यवस्था नही हो पायी है. यहां आसपास के ईंटा भट्ठों में कार्यरत मजदूरों तथा ठाकुरगंज प्रखंड के पश्चिमी क्षेत्र के एक दर्जन पंचायतों एवं सीमावर्ती प्रखंड दिघलबैंक एवं बहादुरगंज प्रखंड के आधा दर्जन पंचायतों की आबादी का मुख्य स्वास्थ्य केंद्र पौआखाली है किंतु दुर्भाग्य है कि सुशासन में एक अदद एमबीबीएस डॉक्टर की पदस्थापना यहां के मरीजों के लिए सपना जैसा है. जबकि दशक पूर्व ऐसा नही था. शिक्षा की बात करें तो माहौल तैयार होने के बावजूद विद्यालयों से ज्यादा विद्यार्थी और अभिभावक कोचिंग संस्थानों में विश्वास व्यक्त करने लगे है. सिर्फ परीक्षा के दिनों में विद्यालयों में भीड़ जुटती है. वर्ना विद्यालय परिसर सुनसान रहता है. प्राथमिक विद्यालयों में भवन निर्माण का रोना जमीन व्यवस्था नही होने के कारण आज भी रोया जाता है.

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