तिथि के हेर-फेर में तीन दिनों तक मनेगी होली

अररिया : रंगों का त्योहार होली को लेकर चहुंओर जोश भी है और उमंग भी है. मालपूआ-पूआ, दहीबड़ा के साथ रंग-अबीर डालने की मस्ती मानो मंगलवार से ही दिखने लगी. फर्क नजर आया है तो इस बात कि ग्रामीण क्षेत्रों में पहले बांस से बना पिचकारी से रंगों की बौछार की जाती है. रंग भले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 23, 2016 6:08 AM

अररिया : रंगों का त्योहार होली को लेकर चहुंओर जोश भी है और उमंग भी है. मालपूआ-पूआ, दहीबड़ा के साथ रंग-अबीर डालने की मस्ती मानो मंगलवार से ही दिखने लगी. फर्क नजर आया है तो इस बात कि ग्रामीण क्षेत्रों में पहले बांस से बना पिचकारी से रंगों की बौछार की जाती है. रंग भले ही अलग-अलग रंगों का होता हो. लेकिन पिचकारी बांस का ही बना होता था. अब उसकी जगह प्लास्टिक से बनी पिचकारी ने ग्रामीण क्षेत्रों में भी कब्जा जमा लिया है.

इधर तिथियों के हेर-फेर से होली तीन दिनों तक खेली जायेगी. कुछ जगहों पर मंगलवार को धुरखेल मनाया गया. रंग खेल बुधवार को होगा. जबकि कुछ इलाके में बुधवार व गुरुवार को होली खेली जायेगी. चर्चा पर भरोसा करे तो गुरुवार को मांस खाने से परहेज करने वाले बुधवार को ही होली मनायेंगे. पहले फागुन शुरू होते ही फाग गाने की परंपरा ग्रामीण क्षेत्रों में भी समाप्त होने के कगार पर है. होली के दिन फाग गाता था. इससे सामाजिक समरसता, आपसी भाईचारा का संदेश जाता था.

दरवाजा वाला मालपुआ- पुआ के साथ दूध में मिला भांग पिला कर स्वागत करता था. भांग के नशे में मदमस्त गायक अपनी गायिकी से फगुआ को रंगीन बना देता था. देवर-भाभी से निश्छल प्रेम से संबंधित जोगीरा व ढोलक के थाप पर लोग नाच उठते थे.

Next Article

Exit mobile version