पटना : बिहार के अररिया जिले में फारबिसगंज पुलिस गोली कांड को लेकर वहां के तत्कालीन जिलाधिकारी एम सर्वानन से स्पष्टीकरण मांगा गया है. इसमें एक गर्भवती महिला और एक बच्चे सहित चार लोगों की मौत हो गयी थी. बिहार विधानमंडल में आज पेश फारबिसगंज गोली कांड के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश माधवेंद्र शरण की अध्यक्षता में गठित एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने निर्णय लिया कि सर्वानन के स्तर से विवाद को गंभीरता से नहीं लिए जाने, निपटारे के लिए व्यक्तिगत रुचि नहीं लेने तथा फारबिसगंज अनुमंडल पदाधिकारी पर दबाव बनाकर चहारदीवारी निर्माण कराने के प्रयास के लिए कार्यवाही की जाये.
बिहार सरकार ने इस मामले में सर्वानन के विरुद्ध नियमानुकूल अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश सामान्य प्रशासन विभाग को दिया है. फारबिसगंज अनुमंडल के भजनपुर गांव में बियाडा की जमीन के बीच से गुजर रही एक सड़क को चहारदीवारी से बंद कर करने को लेकर उपजे विवाद के कारण तीन जून 2011 को ग्रामीणों द्वारा उक्त चहारदीवारी को ढहा देने के बाद की गयी पुलिस फायरिंग में एक गर्भवती महिला और एक बच्चा सहित चार लोगों की मौत हो गयी थी. इस दौरान घायल हुए एक व्यक्ति पर एक होमगार्ड जवान को कूदते तथा बूट के नोक से ठोकर मारते समाचार चैनलों पर दिखाए जाने से नीतीश कुमार सरकार को फजीहत झेलनी पड़ी थी.
आयोग द्वारा समर्पित जांच प्रतिवेदन पर फारबिसगंज थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता के कर्तव्य में लापरवाही बरतने, घटना के संबंध में सूचना इकट्ठा करने में विशेष शाखा के दोषी पदाधिकारियों की पहचान कर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने तथा इस घटना की साजिश के पीछे सक्रिय लोगों की भूमिका का पता लगाए जाने के सुझाव को सरकार ने स्वीकार किया है.