Amrit Sarovar Yojana:अररिया में अमृत सरोवर योजना का जलवा: 75 तालाबों का जीर्णोद्धार, 200 पौधे मुफ्त

पर्यावरण संरक्षण व जल संचयन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संचालित अमृत सरोवर योजना के तहत जिले में कुल 75 तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया है

By Prabhat Khabar News Desk | August 2, 2024 12:49 AM

Amrit Sarovar Yojana: पर्यावरण संरक्षण व जल संचयन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संचालित अमृत सरोवर योजना के तहत जिले में कुल 75 तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया है. तालाब के मुहाने पर बड़े पैमाने पर फलदार व छायादार पौधे लगाये गये हैं. ताकि सौंदर्यीकरण के साथ पर्यावरण संरक्षण संबंधी उपायों को बढ़ावा दिया जा सके. तालाब के जीर्णोद्धार के साथ-साथ इसके माध्यम से लोगों को रोजगार के नये अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में भी पहल की गयी है. अमृत सरोवर योजना के तहत जीर्णोद्धार किये गये सभी तालाबों के किनारे एक यूनिट यानी 200 पौधे लगाये गये हैं. इसके रख-रखाव के लिये दो वन पोषक बहाल किये गये हैं.

Amrit Sarovar Yojana:अमृत सरोवर योजना के तहत मिलेंगे 200 पौधे मुफ्त

अमृत सरोवर योजना के तहत अररिया सदर प्रखंड में 13, भरगामा में 02, फारबिसगंज में 10, जोकीहाट में 02, कुर्साकांटा में 16, नरपतगंज में 01, पलासी में 13 व सिकटी प्रखंड में कुल 06 तालाबों का जीर्णोद्धार हो चुका है. इतना ही नहीं योजना के तहत पौधरोपण करने के इच्छुक लोगों को 200 सौ पेड़ नि:शुल्क उपलब्ध कराने का प्रावधान है. जानकारी मुताबिक बीते वर्ष 2023 में जिले में विभिन्न योजनाओं के तहत कुल 04 लाख 22 हजार पौधे लगाये गये थे. वहीं वर्ष 2024 में 04 लाख 64 हजार पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित है. जल संचयन व पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना उद्देश्य अमृत सरोवर योजना का उद्देश्य जिले के मृत प्राय तालाबों का जीर्णोद्धार करते हुए जल संरक्षण को बढ़ावा देना है. डीडीसी रोजी कुमारी ने जानकारी देते बताया कि इसे लेकर देश के सभी जिलों में 75 तालाबों के जीर्णोद्धार का लक्ष्य रखा गया था. मामले में अररिया जिला निर्धारित लक्ष्य प्राप्त कर चुका है.

Amrit Sarovar Yojana:ग्रामीण इलाकों में जल संसाधनों को मजबूत करने व पर्यावरण को संरक्षित करने के लिहाज से

अमृत सरोवर योजना ग्रामीण इलाकों में जल संसाधनों को मजबूत करने व पर्यावरण को संरक्षित करने के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है. भूजल स्तर में सुधार, सामुदायिक भागीदारी से स्थानीय स्तर पर विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने, हरित क्षेत्र व जैव विविधता को संरक्षित रखने सिंचाई के लिये पर्याप्त जल संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिहाज से बेहद उपयोगी व प्रभावी है.

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