नशामुक्ति केंद्र में बढ़ रही मरीजों की संख्याजरूरी सलाह और आवश्यक दवाओं से हो रही दारू छुड़ाने की कवायद शराब की लत छोड़ने के लिए आत्म निश्चय जरूरी फोटो:10-काउंसेलिंग करती काउंसेलर.प्रतिनिधि 4 अररियाशराब के सेवन व बिक्री पर राज्य भर में पूर्ण प्रतिबंध लागू होने के बाद सदर अस्पताल में बने नशा मुक्ति केंद्र में रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. खास बात यह कि नशा के आदी हो चुके लोग अब अपने इलाज के लिए स्वेच्छा से नशा मुक्ति केंद्र पहुंचने लगे हैं. केंद्र पहुंचने वाले लोगों में शराब को त्यागने की इच्छाशक्ति देखी जा सकती है. लेकिन शराब नहीं मिलने से दिन ब अपनी बिगड़ती हालत को लेकर चिंता की गंभीर रेखाएं भी उनके चेहरे पर आसानी से पढ़ी जा सकती है. काउंसेलिंग के लिए अब तक आये 17 मरीज नशा बंदी कानून जिले में लागू होने के बाद सदर अस्पताल में बने नशा मुक्ति केंद्र में अब तक 17 लोगों की काउंसेलिंग की गयी है. शराब नहीं मिलने के कारण दो मरीजों के खराब हालत को देखते हुए उन्हें रेफर किया जा चुका है. अलग बात है कि यहां पहुंचने वाले मरीज को काउंसेलिंग के बाद उनके घर वापस भेज दिया गया. अब तक किसी मरीज को स्थायी तौर पर केंद्र में रख कर इलाज की नौबत नहीं आयी है. उचित परामर्श और जरूरी दवा उपलब्ध कराने के बाद रोगियों को उनके घर जाने दिया जा रहा है. हालांकि आने वाले दिनों में रोगियों की संख्या में अभी और इजाफा होगा. इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग अतिरिक्त तैयारी में जुटा है. केंद्र के कर्मी यहां पहुंचने वाले मरीजों को इच्छाशक्ति को मजबूत कर इस बुरी आदत से उन्हें निजात दिलाने के हर संभव प्रयास करते दिखते हैं. शराबी शारीरिक रूप से हो रहे हैं कमजोर नशा मुक्ति केंद्र में कार्यरत चिकित्सक की माने तो शराब नहीं मिलने से इसके आदी हो चुके लोगों में कमजोरी की समस्या आम है. अपने इलाज के लिए केंद्र पहुंचने वाले लोग भी कमजोरी की शिकायत करते हैं. केंद्र के नोडल पदाधिकारी डॉ बीएस प्रसाद ने बताया कि केंद्र में सभी जरूरी विटामिन की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया गया है. चिकित्सकीय परामर्श के बाद रोगियों की सेहत नहीं बिगड़े इसके लिये उन्हें ये दवाएं मुफ्त में उपलब्ध कराये जा रहे हैं. काउंसेलिंग के बाद तय होता है रोगियों का इलाज नशा की लत छुड़ाने में बेहतर काउंसेलिंग की भूमिका को केंद्र में कार्यरत काउंसेलर दीपिका कुमारी महत्वपूर्ण बताती है. दीपिका ने कहा कि काउंसेलिंग के बाद ही रोगियों के वास्तविक मनोदशा का पता लगा कर इलाज के लिये आगे की रणनीति तय की जाती है. काउंसेलिंग लोगों के अंदर की इच्छाशक्ति को मजबूत करने की प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि विभाग के माध्यम से कुछ सवाल निर्धारित किये गये हैं. जो काउंसेलिंग के लिए यहां पहुंचने वाले सभी मरीजों से पूछा जाता है. रोगियों द्वारा दिये गये जवाब के मार्किंग के आधार पर सघन चिकित्सा के उसे बाहर भेजने, केंद्र में ठहरने या वापस घर लौटने की सलाह दी जाती है.
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नशामुक्ति केंद्र में बढ़ रही मरीजों की संख्या
नशामुक्ति केंद्र में बढ़ रही मरीजों की संख्याजरूरी सलाह और आवश्यक दवाओं से हो रही दारू छुड़ाने की कवायद शराब की लत छोड़ने के लिए आत्म निश्चय जरूरी फोटो:10-काउंसेलिंग करती काउंसेलर.प्रतिनिधि 4 अररियाशराब के सेवन व बिक्री पर राज्य भर में पूर्ण प्रतिबंध लागू होने के बाद सदर अस्पताल में बने नशा मुक्ति केंद्र में […]
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