कैसे बने सुंदर शहर . जिला मुख्यालय में यदा-कदा हटाया जाता है अतिक्रमण

मुख्य सड़कों पर अवैध कब्जा जिला मुख्यालय की तमाम मुख्य सड़कों पर सड़क किनारे या तो ऑटो वालों का कब्जा है या फिर दुकानें लगती है. आवाजाही करने वालों को परेशानी होती है. यदा-कदा कागजी खानापूर्ति या फिर खबरों की सुर्खियां बनने को अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता है. एक-दो दिनों बाद हालात जस के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 19, 2016 1:40 AM

मुख्य सड़कों पर अवैध कब्जा

जिला मुख्यालय की तमाम मुख्य सड़कों पर सड़क किनारे या तो ऑटो वालों का कब्जा है या फिर दुकानें लगती है. आवाजाही करने वालों को परेशानी होती है. यदा-कदा कागजी खानापूर्ति या फिर खबरों की सुर्खियां बनने को अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता है. एक-दो दिनों बाद हालात जस के तस हो जाते हैं.
अररिया : शहर को सुंदर व स्वच्छ बनाने के दावों को ये तसवीरें आईना दिखाती है. इन जगहों पर हर हमेशा जिले के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता है. उनकी नजर इन जगहों पर पड़ती है या नहीं ये तो वही बता सकते हैं. लेिकन तसवीर देख कर सब कुछ साफ-साफ समझा जा सकता है.
रोज व रोज इस रास्ते से कोई न कोई पदाधिकारी गुजरते हैं. जाम देख उनकी गाड़ी में लगा सायरन बज उठता है. हलचल होती है. उनकी गाड़ी गुजर जाती है. शायद उन्हें आम लोगों की आवाजाही की परेशानी का एहसास नहीं होता है. माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आने वाले हैं.
फिर एक बार अतिक्रमण हटाने का अभियान चलेगा. दंडाधिकारी होंगे. पुलिस पदाधिकारी होंगे. साफ-सफाई भी होगी. चौक-चौराहों पर पुलिस भी होगी. उनके जाने के बाद …. फिर हालात जस के तस हो जायेंगे. ऐसा होता भी रहा है. आखिर कब तक जिला मुख्यालय को इस परेशानी से निजात मिलेगा. प्रबुद्ध जनों में इस तरह की चर्चा सरेआम हो रही है.
तसवीरें बयां करती है बदतर हालात को
स्पॉट-1
ये तसवीर है न्यायालय परिसर से सटे सुभाष जी के आदमकद मूर्ति के ठीक सामने पूरब जाने वाली सड़क का. जहां सड़क पर मानो ऑटो वालों ने अघोषित स्टैंड बना कर रखा है. न्यायालय की सुरक्षा की बात के अलावा शिक्षा विभाग के कार्यालय जाने वालों को परेशानी होती है. सामान्य तौर पर न्यायालय परिसर को सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है. ये हालात व्यवस्था की जमीनी हकीकत बयां करती है.
स्पॉट-2
ये तसवीर है नगर परिषद कार्यालय के ठीक सामने की. अघोषित मछली बाजार व अवैध ऑटो स्टैंड, जहां हमेशा शोर-गुल होते ही रहता है. ठीक सामने जाने वाली सड़क जिला व सत्र न्यायाधीश के आवास जाती है. यह भी सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है. तसवीर और हालात सच्चाई को बयां करता है. जी हां तसवीरें झूठ नहीं बोलती है.
स्पॉट-3
ये तसवीर है शहर के हृदय स्थली चांदनी चौक का है. थोड़ी भी नजर चुकी तो दुर्घटना होना तय है. चारों ओर रिक्शा, ऑटो, दुकानों से चौराहा सिकुड़ सा गया है. थोड़ी भी जगह है तो ठेला वालों का कब्जा है. इसी चौक से दक्षिण सदर अस्पताल जाने वाला रास्ता है. सुंदर, स्वच्छ शहर बनाने का दावा व यातायात की व्यवस्था पर ये तसवीर निश्चय ही सवाल खड़ा करता है कि जनहित के प्रति प्रशासन कितना सजग है.
स्पॉट-4
ये तसवीर पीएचइडी कार्यालय के सामने व जेपी मूर्ति के समीप का है. चाय-नाश्ते की दुकानें, अस्थायी कपड़ा की दुकानें लगती है. ऑटो लगाने घुमाने वालों पर नियंत्रण नहीं. जहां-तहां लगा देते हैं रिक्शा व ऑटो. हमेशा दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. ये तसवीरें बयां करती है जिला मुख्यालय की सुंदर व्यवस्था का या फिर कुव्यवस्था की. फैसला आपके हाथ.

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