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तीन माह का खाद्यान्न हुआ लैप्स

लापरवाही. विभागीय परिवहन में वित्तीय कमी के कारण उत्पन्न हुई स्थिति जिले के लगभग चार लाख 85 हजार कार्डधारकों की थाल तक अनाज पहुंचने पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. विभागीय उदासीनता के कारण उन तक पहुंचने वाला लगभग दो लाख क्विंटल अनाज लैप्स हो चुका है. खाद्यान्न लैप्स होने का सिलसिला मार्च माह […]

लापरवाही. विभागीय परिवहन में वित्तीय कमी के कारण उत्पन्न हुई स्थिति

जिले के लगभग चार लाख 85 हजार कार्डधारकों की थाल तक अनाज पहुंचने पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. विभागीय उदासीनता के कारण उन तक पहुंचने वाला लगभग दो लाख क्विंटल अनाज लैप्स हो चुका है. खाद्यान्न लैप्स होने का सिलसिला मार्च माह में ही शुरू हुआ, जिसे रोक पाने में मई माह तक एसएफसी विफल रहा है. हालात यह है कि जून माह का भी 70 हजार क्विंटल खाद्यान्न लैप्स होने की कगार पर है. एसएफसी लैप्स खाद्यान्न की आपूर्ति के लिए राज्य खाद्य निगम से अब अवधि विस्तार का अनुरोध कर रहा है.
अररिया : हालात बता रहा है कि खाद्यान्न उठाव के मामले में एफसीआइ व एसएफसी के बीच कहीं न कहीं आपसी समन्वय की कमी है. इसके कारण जिले का लगभग एक लाख 92 हजार क्विंटल खाद्यान्न लैप्स हो गया है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत प्रत्येक माह जिले में डेढ़ लाख क्विंटल अनाज का उठाव होता है. इसमें 90 प्रतिशत चावल व 60 प्रतिशत गेहूं का उठाव एसएफसी को एफसीआइ से किया जाता है. लेकिन विगत मार्च महीने से ही विभागीय परिवहन में वित्तीय कमी की बाधा होने के कारण खाद्यान्न उठाव की प्रक्रिया थम सी गयी थी.
हालांकि पदाधिकारियों की पहल पर मई माह से खाद्यान्न का उठाव विभागीय तौर पर चालू हुआ. लेकिन इसके बाद भी राज्य खाद्य निगम के तीन माह का लगभग एक लाख 92 हजार क्विंटल अनाज अब भी एफसीआइ के पास बाकी है, जो लैप्स हो गया. हालांकि कार्यालय सूत्रों की मानें तो पीडीएस दुकानदारों को खाद्यान्न प्रत्येक माह दिया जा रहा है. लेकिन एसएफसी का जो अनाज एफसीआइ के पास बचा है उसका उठाव अगर ससमय नहीं हुआ,
तो जिले में खाद्यान्न का संकट गहरा सकता है. अभी एसएफसी के पास सीएमआर बचा हुआ है, जिससे पीडीएस तक खाद्यान्न पहुंच रहा है. लेकिन इंटरनल स्टॉक समाप्त होने के बाद दो लाख क्विंटल अनाज की भरपाई कर पाना राज्य खाद्य निगम के लिए एक सिरदर्द साबित हो सकता है.
किस माह का कितना खाद्यान्न हुआ है लैप्स
जानकारी के अनुसार मार्च माह से ही खाद्यान्न उठाव की प्रक्रिया सुस्त होने के कारण व एफसीआइ द्वारा अनाज उठाव की प्रक्रिया में सहयोगी रवैया नहीं अपनाने के कारण इतनी बड़ी मात्रा में खाद्यान्न लैप्स होने का सिलसिला शुरू हुआ है. जानकारी अनुसार मार्च माह में एफसीआइ के पास 82 हजार क्विंटल अनाज, अप्रैल माह में 60 हजार क्विंटल अनाज, मई माह में 50 हजार क्विंटल अनाज लैप्स हुआ है, जबकि जून माह में 15 जून तक खाद्यान्न उठाव करने की तिथि निर्धारित है. इसमें एक लाख क्विंटल खाद्यान्न का उठाव राज्य खाद्य निगम को एफसीआइ से करना था.
50 हजार क्विंटल अनाज की भरपाई सीएमआर के खाद्यान्न से करने की योजना थी. अब तक मात्र 30 हजार क्विंटल अनाज का उठाव ही एफसीआइ से राज्य खाद्य निगम के द्वारा किया जा सका है. इससे जून माह का भी 70 हजार क्विंटल अनाज लैप्स होने की प्रबल संभावना व्यक्त की जा रही है.
जबकि खाद्यान्न उठाव को लेकर अवधि विस्तार किये जाने की संभावना राज्य खाद्य निगम के पदाधिकारी जता रहे हैं. ऐसा अगर होता है तो जून माह के खाद्यान्न को लैप्स होने से बचाया जा सकता है.
अनाज लैप्स होने के कारण
लगभग दो लाख क्विंटल खाद्यान्न अगर राज्य खाद्य निगम का लैप्स हो रहा है तो इसके पीछे के तीन मुख्य कारण हैं. बकौल जिला प्रबंधक चंचल कुमार पहला विभागीय परिवहन में वित्तीय आवंटन का अभाव, दूसरा परिवहन अभिकर्ता की पूूर्णरूपेण नियुक्ति ससमय नहीं होने के कारण व तीसरा कारण पंचायत चुनाव रहा.
उन्होंने बताया कि मेन परिवहन अभिकर्ता ने पांच जून से काम करना प्रारंभ कर दिया है, जिससे खाद्यान्न उठाव में उत्तरोत्तर सुधार आ रहा है. इधर जिला प्रबंधक चंचल कुमार ने बताया कि खाद्यान्न लैप्स नहीं हो इसके लिए अवधि विस्तार किया जाना जरूरी है. उन्होंने बताया कि अवधि विस्तार के लिए राज्य खाद्य निगम को अनुरोध पत्र भेजा गया है,
जिसका अब तक जवाब नहीं आया है.
एफसीआइ द्वारा खाद्यान्न उठाव में एसएफसी को नहीं किया जा रहा है सकारात्मक सहयोग
अवधि विस्तार नहीं हुई तो मार्च, अप्रैल व मई माह का 1,92,000 हजार क्विंटल खाद्यान्न हो जायेगा लैप्स
जून माह का 70 हजार क्विंटल खाद्यान्न लैप्स होने की है आशंका

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