25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

न डीडीसी, न निदेशक, काम प्रभावित

अव्यवस्था. प्रभार में चल रहा है जिला ग्रामीण विकास अभिकरण जिले में लगभग दो माह से जिला ग्रामीण विकास अभिकरण प्रभार में चल रहा है. डीडीसी व डीआरडीए निदेशक के पद पर प्रभार लेने वाले अधिकारियों को वित्तीय अधिकार नहीं मिलने से कई काम प्रभावित हो रहे हैं. स्थित यह है कि तीन माह से […]

अव्यवस्था. प्रभार में चल रहा है जिला ग्रामीण विकास अभिकरण

जिले में लगभग दो माह से जिला ग्रामीण विकास अभिकरण प्रभार में चल रहा है. डीडीसी व डीआरडीए निदेशक के पद पर प्रभार लेने वाले अधिकारियों को वित्तीय अधिकार नहीं मिलने से कई काम प्रभावित हो रहे हैं. स्थित यह है कि तीन माह से कर्मियों को वेतन नहीं मिला है. मनरेगा की राशि भी अटकी हुई है. मानव दिवस सृजन पर भी इसका असर पड़ रहा है.
अररिया: नियमित अधिकारियों के अभाव के कारण जिले में ग्रामीण विकास अभिकरण के तहत होने वाला कार्य शिथिल होता जा रहा है. आलम ये है कि डीआरडीए के कर्मचारियों को तीन माह से वेतन तक नहीं मिला है. वहीं मनरेगा मद में भी करोड़ों का बकाया चढ़ चुका है. दूसरी तरफ पंचायती राज व्यवस्था पर भी इसका असर पड़ रहा है.
गौरतलब है कि डीडीसी अरशद अजीज का तबादला हो चुका है. वे 18 मई को जिले से विरमित हो कर पटना में योगदान कर चुके हैं. वहीं डीआरडीए के निदेशक मनोज कुमार झा हैं तो जिले में ही पदस्थापित, पर उनका कार्यालय बदल चुका है. अब वे अपर समाहर्ता सह जिला लोक शिकायत पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित कर दिये गये हैं.
दोनों अधिकारियों का तबादला हुए लगभग दो माह का समय बीत चुका है, पर दोनों ही पद पर सरकार ने किसी नये अधिकारी की पोस्टिंग नहीं की है. हां इतना जरूर है कि दोनों ही पदों के लिए जिलाधिकारी के आदेश पर दो अधिकारियों को प्रभारी अधिकारी बनाया गया है. डीडीसी का प्रभार अपर समाहर्ता अमोद कुमार शरण के पास है, जबकि जिला पंचायती राज पदाधिकारी धीरेंद्र मिश्रा को डीआरडीए निदेशक का प्रभार देकर काम चलाने की कोशिश की जा रही है.
मिली जानकारी के अनुसार नियमित अधिकारियों के नहीं रहने की वजह कर कई तरह की दिक्कत आ रही है. एक तो ये कि डीआरडीए में कार्यरत कर्मचारियों को तीन माह से वेतन ही नहीं मिला है, जबकि आवंटन प्राप्त है. बताया गया कि प्रभारी अधिकारी को सरकार द्वारा वित्तीय शक्ति ही नहीं दी गयी है. इसके बिना वेतन भुगतान की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकती है.
मनरेगा में मजदूरी व सामग्रियों को मिला कर करीब छह करोड़ की उधारी
मनरेगा योजना भी प्रभावित है. मनरेगा में मजदूरी व सामग्रियों को मिला कर करीब छह करोड़ की उधारी चढ़ चुकी है. बताया गया कि मजदूरी मद में कुछ भुगतान तो हो भी रहा है, पर सामग्री मद का मामला अटका पड़ा है. मनरेगा सेल से मिली जानकारी के मुताबिक मनरेगा में भुगतान के लिए एफटीओ जेनरेट करना पड़ता है. इसके लिए भी वित्तीय शक्ति चाहिए, पर प्रभारी डीडीसी को अब तक वित्तीय शक्ति नहीं मिल पायी है. वैसे बताया जाता है कि प्रभारी अधिकारियों को वित्तीय शक्ति देने के लिए जिलाधिकारी संबंधित विभाग को पत्र भी भेज चुके हैं, पर आदेश नहीं आया है.
मानव दिवस सृजन पर पड़ रहा असर
अधिकारियों की कमी का असर मानव दिवस सृजन पर भी पड़ता दिख रहा है. मिली जानकारी के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष में अबतक कुल छह लाख 25 हजार मानव दिवस का सृजन हो सका है. इसमें से पिछले डेढ़ दो माह में केवल दो लाख के करीब ही मानव दिवस सृजित हुआ है. जबकि अप्रैल मई में चार लाख माना दिवस का सृजन हुआ था.
बोले जिप अध्यक्ष
नियमित निदेशक व डीडीसी के पदस्थापन नहीं होने से तरह तरह की दिक्कत आ रही है. पूरा पंचायत राज सिस्टम प्रभावित हो रहा है. पटना जा कर मुख्यमंत्री से मिलेंगे. अधिकारियों के पोस्टिंग का आग्रह करेंगे.
आफताब अजीम, जिप अध्यक्ष

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें