महामारी से बचाना व यातायात सामान्य करना होगी बड़ी चुनौती

अररिया : बाढ़ का पानी जिस तेजी से घट रहा है, उम्मीद की जा सकती है कि अगले चार छह दिनों में जिले वासियों को बाढ़ के प्रकोप से पूरी तरह निजात मिल जायेगी. प्रशासन भी राहत की सांस ले सकेगा. पर बाढ़ के बाद भी जिले को पटरी पर वापस लाना जिला प्रशासन के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 1, 2016 5:52 AM

अररिया : बाढ़ का पानी जिस तेजी से घट रहा है, उम्मीद की जा सकती है कि अगले चार छह दिनों में जिले वासियों को बाढ़ के प्रकोप से पूरी तरह निजात मिल जायेगी. प्रशासन भी राहत की सांस ले सकेगा. पर बाढ़ के बाद भी जिले को पटरी पर वापस लाना जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.

क्षेत्र से मिली जानकारी के अनुसार बाढ़ के चलते चापाकल, कुआं व तालाब का पानी बहुत हद तक प्रदूषित हो चुका है. अगर पानी पीने में आवश्यक एहतियात न रता गया तो लोग जल जनित बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं. वहीं लंबे समय तक के जल जमाव के कारण महामारी फैलने का डर लगा हुआ है.
ऐसी हालत में जिला प्रशासन के लिए नई मुसीबत पैदा हो सकती है.
हालांकि जिला प्रशासन का दावा है कि स्थिति पर नियंत्रण के लिए प्रशासन सभी आवश्यक एहतियाती उपाय कर रहा है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में डीडीटी छिड़काव व पानी के लिए हैलोजन टैबलेट वितरण की व्यवस्था की गयी है. लोगों से पानी उबाल कर पीने को कहा जा रहा है. सरकारी स्वास्थ्य इकाईयों में आवश्यक दवाएं उपलब्ध करा दी गयी हैं. डाक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर उन्हें चौकस रहने को कहा गया है. पर देखना ये होगा कि ये सारी तैयारियां जमीन पर अमल में भी दिखती हैं या नहीं. वहीं बाढ़ के चलते जितनी बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों में पुल पुलिया व सड़कें टूटी हैं,
उनकी मरम्मती भी प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है. हालांकि जिला पदाधिकारी ने आश्वसत किया है कि सभी क्षतिग्रस्त् सड़कों व पुल पलियों को दो से तीन माह के भीतर मरम्मत कर यातायात को बहाल कर दिया जायेगा. पर देखना ये होगा कि मरम्मती के लिए आवश्यक धन राशि सरकार ससमय उपलब्ध करा पाती है या नहीं. राशि उपलब्ध होने पर भी क्या कनीय अधिकारी उसी तत्परता से काम करेंगे, जिसकी जरूरत है.

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