आठ माह पूर्व दी थी एसपी को सूचना
लापरवाही. फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट बनाने के मामले में सोया है प्रशासन नेपाल की खुली सीमा पर स्थित सीमांचल के किशनगंज, अररिया, सुपौल आदि जिले में बार-बार आतंक विरोधी गतिविधियों की पुष्टि होती रही है. बावजूद इन जिलों के प्रशासन की नींद नहीं खुल सकी है, और जिले में फर्जी पासपोर्ट […]
लापरवाही. फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट बनाने के मामले में सोया है प्रशासन
नेपाल की खुली सीमा पर स्थित सीमांचल के किशनगंज, अररिया, सुपौल आदि जिले में बार-बार आतंक विरोधी गतिविधियों की पुष्टि होती रही है.
बावजूद इन जिलों के प्रशासन की नींद नहीं खुल सकी है, और जिले में फर्जी पासपोर्ट बनाने का कारगुजारी जारी है. जबकि खुफिया विभाग बार-बार जिले के पुलिस महकमा को आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए सर्तक रहने के निर्देश जारी करता रहा है.
अररिया : फर्जी दस्तावेज के आधार पर सीमांचल के इलाके में पासपोर्ट बनवाने का मामला सामने आता रहा है. तुर्रा यह कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट बनाने के मामले में एक अधिकारी द्वारा दिये गये पत्र के बाद भी पुलिस प्रशासन सजग नहीं हुआ. यह प्रशासनिक सतर्कता पर सवाल उठाता है. हालिया घटना में नगर परिषद अररिया से जारी फजी जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर तीन दर्जन से ज्यादा पासपोर्ट बनाने के प्रयास का मामला सामने आये हैं.
हालांकि इस मामले में नगर परिषद के ईओ द्वारा एसपी को आठ माह पहले पत्र भेजा गया था. लेकिन पुलिस पदाधिकारी के स्तर पर अब तक वैसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई तो दूर छानबीन तक नहीं की गयी. दूसरी तरफ नगर परिषद के पास मौजूद जन्म प्रमाण पत्र का हुबहू प्रमाण पत्र, पासपोर्ट दस्तावेज में लगाया जाना भी नप में किसी छोटे कर्मी के तालमेल को दर्शाता है.
वैसे तो नगर परिषद के वर्तमान कार्यपालक पदाधिकारी भवेश कुमार ने 27 अगस्त 2015 को योगदान लेते हैं उन तक पहुंचे ऐसे मामलों में कार्रवाई करनी शुरू कर दी व तत्काल इसकी सूचना जिले के पुलिस अधीक्षक को दी. चूक किस स्तर से हुई यह तो जांच का विषय है.
देश के आंतरिक सुरक्षा में सेंध लगाने वाले जालसाज गिरोह हैं सक्रिय
नप के पत्र देने के बाद भी नहीं चेता प्रशासन
पासपोर्ट कार्यालय पटना ने आवेदन के साथ लगाये गये गये जन्म प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए नगर परिषद कार्यालय अररिया को लगभग दस माह पूर्व दस्तावेज भेजा था. वर्तमान कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा जन्म प्रमाण पत्र का मिलान कार्यालय में उपलब्ध दस्तावेज के साथ कराया गया. उन्होंने पाया कि भेजे गये आवेदन में आवेदकों का पंजीयन संख्या व जन्म प्रमाण पत्र हुबहू मिल रहा है. उसमें लगा मोहर भी एक जैसा है.
लेकिन जब बारिकी से जांच की गयी तो पता चला कि पदाधिकारी के हस्ताक्षर व आवेदक के नाम में अंतर है. इस मामले को ले ईओ ने अपने कार्यालय के पत्रांक 2244 दिनांक 20 नवंबर 15 में तीन आवेदकों व पत्रांक 2330 दिनांक चार दिसंबर 16 में एक आवेदक के विरुद्ध सत्यापन कर आवश्यक कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार पोरिका को पत्र दिया था. लेकिन आठ माह बीत जाने के बाद भी पुलिस के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं हो पायी है.
फर्जी पासपोर्ट बनाने का पहले भी आया है मामला
जाली पासपोर्ट बनाने को ले फारबिसगंज थाना में दर्ज मामलों में एक बांग्लादेशी नागरिक शकुर अलि को अगस्त माह 2015 में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि इस मामले के मुख्य साजिश कर्ता आरोपी रहीम अब तक पुलिस गिरफ्त से बाहर है. कंघन निड्स तमिलनाडू में कार्यरत शकुर अलि फरार रहीम का फुफेरा भाई बताया जाता है. पूछताछ में खुलासा हुआ था कि शकुर अलि बांग्लादेश के गांव डाउरिया पोस्ट कलामपुर थाना धमरई जिला ढाका का रहने वाला है.
उसे विदेशी अधिनियम के तहत बगैर पासपोर्ट के भारत में आने को लेकर गिरफ्तार कर लिया गया था. पूछताछ में शकुर अलि ने बताया था कि पश्चिम बंगाल के बेनापुल बॉर्डर से बच्चू विश्वास, कविराज व तनाई के माध्यम से रहीम, खोखन व शकुर अलि भारतीय सीमा में आया था. तीनों टेलर मास्टर का काम करता था. कंघन निड्स में काम कर रहे फारबिसगंज के चौरा परवाहा निवासी अकबर से उनकी दोस्ती हो गयी. इसके बाद विदेश जाने की योजना बनायी.
सारा फर्जी कागज बनाने, बैंक में खाता खोलवाने, फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाने में अकबर ने सहयोग किया. खोखन व शकुर का भी पैन कार्ड चौरा परवाहा के पते पर अकबर ने ही बनवाया था. जानकारी अनुसार पंजाब के कैंट थाना में कांड संख्या 107/05 दिनांक नौ नवंबर 2005 व 110/05 दस नवंबर 2005 के अनुसार भारतीय क्षेत्र में जासूसी करने पहुंचा पाकिस्तानी नागरिक अली मोहम्मद इकबाल उर्फ लुकेन मोहम्मद उर्फ अब्दुल कासीम इस्लामाबाद का रहने वाला बताया गया था.
आइबी ने जब उसके पासपोर्ट की छानबीन की तो पाया कि वह अररिया जिले के सिकटी प्रखंड के एक ऐसे व्यक्ति के नाम व आइडी पर अपना पासपोर्ट बनाया था जिसकी मृत्यु पासपोर्ट बनाने के पांच वर्ष पूर्व हो चुकी थी.
आंतरिक सुरक्षा के मामले पर प्रशासन पूरी तरह से सतर्कता बरत रही है. उन्होंने बताया कि जालसाजी कर अगर कोई किसी भी प्रकार का जाली प्रमाण पत्र बनाता है तो उसे बख्शा नहीं जायेगा. यह तो पासपोर्ट से जुड़ा मामला है. इसलिए दोषी लोगों के विरुद्ध छानबीन की जा रही है. जांच में दोषी पाये जाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई निश्चित है.
सुधीर कुमार पोरिका, पुलिस अधिक्षक