89 पैसे के पेच में फंसा टीएचआर व पोषाहार

आइसीडीएस . बढ़ी आंगनबाड़ी केंद्र की उपेक्षा जिले में आइसीडीएस का हाल ठीक नहीं है. 2100 आंगनबाड़ी केंद्रों पर तीन माह से टीएचआर व दो माह से पोषाहार वितरण बंद है. महज 89 पैसे के पेंच के चलते बाधित है टीएचआर व पोषाहार. अररिया : आइसीडीएस योजना के तहत जिले में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र नित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2016 5:30 AM

आइसीडीएस . बढ़ी आंगनबाड़ी केंद्र की उपेक्षा

जिले में आइसीडीएस का हाल ठीक नहीं है. 2100 आंगनबाड़ी केंद्रों पर तीन माह से टीएचआर व दो माह से पोषाहार वितरण बंद है. महज 89 पैसे के पेंच के चलते बाधित है टीएचआर व पोषाहार.
अररिया : आइसीडीएस योजना के तहत जिले में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र नित नये नियमों में पेंच में फंस कर दिन प्रतिदिन बदहाल व उपेक्षित होते जा रहे हैं. आलम ये है कि सेविका व सहायिका केंद्रों पर अपनी हाजरी भी लगा रही हैं. पर न केंद्रों पर बच्चों को पका पकाया भोजन मिल पा रहा है. न ही सूखा राशन यानी टीएचआर का वितरण हो पा रहा है. इस सिलसिले की दिलचस्प ही नहीं बल्कि हैरत में डालने वाली बात ये है कि फिलहाल का पेंच चावल केरेट में महज 89 पैसे के अंतर के कारण फंसा हुआ है. बताया जाता है कि पिछले कई माह से चावल आपूर्ति बंद है.
हाल के दिनों में केंद्रों पर राशि तो भेजी गयी है, लेकिन चावल की आपूर्ति बाधित रहने के कारण टीएचआर व पोषाहर बंद है. दिक्कत केवल राशन आपूर्ति को लेकर नहीं है, बल्कि कुछ प्रखंडों में सेविका व सहायिका का मानदेय भुगतान पिछले छह माह से अधिक से लंबित है.
सेविकाओं से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रों पर सितंबर के बाद से टीएचआर का वितरण नहीं हो पाया है. जबकि बच्चों को मिलने वाला भोजन भी कमोबेश दो माह से बंद है. विभागीय अधिकारी भी इसकी पुष्टि करते हैं. अररिया प्रखंड की सेविकाओं का कहना है कि टीएचआर का अंतिम वितरण 30 सितंबर को हुआ था. जबकि बच्चों को 24 अक्तूबर के बाद खाना देना संभव नहीं हो पाया है.
इसी क्रम में टीएचआर व पोषाहार बंद रहने को लेकर आ रही दिक्कतों की जानकारी देते सेविकाओं ने कहा कि केवल स्कूल पूर्व शिक्षा के लिए न तो बच्चे केंद्रों पर आने को तैयार हो रहे हैं. न ही उनके अभिभावक बच्चों को केंद्र पर भेजने में दिलचस्पी ले रहे हैं. सेविकाओं ने ये भी कहा कि कभी तो भोजन के अलावा नाश्ता की व्यवस्था बच्चों के लिए की जाती है, पर अब पोषाहर तक नहीं मिल पा रहा है.

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