कब तक जलते रहेंगे गरीबों के आशियाने

अररिया : अग्निकांड में नगद व संपत्ति का नुकसान तो होता ही है. साथ ही कई जानें भी असमय ही काल के ग्रास बन जाते हैं. पाई-पाई जोड़कर सपनों के आशियाना बनाने वालों के लिए आग की यह चिनगारी कई वर्षों तक दु:ख का पहाड़ खड़ा कर देती है. गरीब परिवार एक-एक रुपये जोड़ कर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 15, 2017 10:42 AM
अररिया : अग्निकांड में नगद व संपत्ति का नुकसान तो होता ही है. साथ ही कई जानें भी असमय ही काल के ग्रास बन जाते हैं. पाई-पाई जोड़कर सपनों के आशियाना बनाने वालों के लिए आग की यह चिनगारी कई वर्षों तक दु:ख का पहाड़ खड़ा कर देती है. गरीब परिवार एक-एक रुपये जोड़ कर जो धन जमा करते हैं देखते ही देखते वह सब रख की ढेर में तब्दील हो जाता है.

इसके बाद भी समाज के लोगों को छोड़ कर जन प्रतिनिधि से लेकर प्रशासन का सिर्फ आश्वासन ही अग्निपीड़ितों के हाथ लग पाता है. कई वर्षों तक अंचल का चक्कर काटने के बाद जो मुआवजा अग्पिनीड़ितों के हाथ आता है उससे आशियाना तो बन जाता है लेकिन अग्निकांड की चपेट में असमय काल के ग्रास बने परिजन कहां लौट पाते हैं. जिला मुख्यालय में अग्निशमन वाहनों के नहीं होने से 30 लाख की आबादी पर जिले में मात्र आठ दमकल हैं, जबकि जिले में प्रखंडों की संख्या 09 है. फिर भी सूचना मिलने के बाद जब तक घटनास्थल पर दमकल पहुंचेंगे तब तक तो आग की लपटों में सब कुछ स्वाहा हो जाता है.

जलती चिनगारी पर दमकल की पानी सिर्फ सांत्वाना देना का काम करती है. जनता व जन प्रतिनिधि के लाख मांगने पर भी सरकार प्रखंड मुख्यालय में दमकल की स्थापना नहीं करा पा रही है. फल:स्वरूप आग अपने लपटों में लोगों के आशियाने का जलाती जा रही है.

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