अररिया के प्रारंभिक विद्यालयों से दो लाख बच्चे गायब!

अररिया: जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में नामांकित लगभग दो लाख बच्चों का अता-पता नहीं है. यह खुलासा शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा में बच्चों की अनुपस्थिति से हुआ है. ये बच्चे या तो स्कूल से ड्रॉप आउट हुए हैं या फिर फर्जी नामांकन दर्ज करा कर निजी विद्यालयों में अध्ययनरत हैं. यदि ये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 22, 2017 10:18 AM

अररिया: जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में नामांकित लगभग दो लाख बच्चों का अता-पता नहीं है. यह खुलासा शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा में बच्चों की अनुपस्थिति से हुआ है. ये बच्चे या तो स्कूल से ड्रॉप आउट हुए हैं या फिर फर्जी नामांकन दर्ज करा कर निजी विद्यालयों में अध्ययनरत हैं. यदि ये बच्चे स्कूलों से ड्रॉप आउट हुए, तो एमडीएम किसे खिलाया गया.

यदि ये बच्चे निजी विद्यालयों में अध्ययनरत हैं तो उनकी उपस्थिति विद्यालयों में कैसे बनती रही. इसके साथ-साथ इस साल के पहले तक पोशाक राशि व छात्रवृत्ति राशि किसे दी गयी. हालांकि वर्ष 2016-17 में पोशाक व छात्रवृत्ति की राशि बच्चों के खातों में जा रही है. लेकिन वर्ष 2016-17 से पहले ये राशि स्कूलों के शिक्षकों द्वारा बच्चों को नकद दी जा रही थी.

सरकारी स्कूलों में नामांकित हैं 5,66,224 बच्चे

जिले के 2080 स्कूलों में कुल पांच लाख 66 हजार 224 बच्चे नामांकित हैं. इनमें 1966 सरकारी प्रारंभिक विद्यालय, 94 सरकारी सहायता प्राप्त मदरसा व 20 सरकारी सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालय शामिल हैं. इन स्कूलों में इस वर्ष आयोजित वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा में साढ़े तीन लाख बच्चों ने भाग लिया. इस प्रकार दो लाख बच्चे मूल्यांकन परीक्षा में अनुपस्थित रहे. इन बच्चों को अगली कक्षा में प्रवेश नहीं हो पायेगा. क्या ये बच्चे स्कूल से ड्रॉप आउट हो गये. यदि ड्रॉप आउट हो गये तो क्या केवल परीक्षा में ड्रॉप आउट या पहले से ड्रॉप आउट हो रहे हैं. यदि पहले से ड्रॉप आउट हो रहे हैं तो इनके नाम पर भेजी गयी एमडीएम की राशि क्या हुई. इन ड्रॉप आउट बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए शिक्षा विभाग ने क्या कार्रवाई की. ड्रॉप आउट बच्चों को स्कूल तक ले जाने के लिए भारी संख्या में टोला सेवकों की बहाली की गयी है.

कहीं फर्जी नामांकन तो नहीं

एक साथ इतनी संख्या में बच्चों का स्कूल से ड्रॉप हो जाना एक गंभीर सवाल खड़ा करता है. आशंका है कि ये बच्चे निजी स्कूलों में अध्ययनरत हैं. साथ-साथ नवोदय व सैनिक स्कूलों के साथ-साथ सिमुलतला आवासीय विद्यालयों में नामांकन के लिए भी इन बच्चों का नाम समानांतर रूप से सरकारी विद्यालयों में लिखवाया गया है, जो स्कूल नहीं जाते. इन बच्चों का सरकारी विद्यालयों में केवल नाम भर लिखा है. इस वर्ष पोशाक राशि व छात्रवृत्ति का वितरण भी वैसे छात्रों के बीच किया गया है जिनकी उपस्थिति 75 प्रतिशत पायी गयी थी. यह राशि उन छात्रों को सीधे उनके खातों में भेजी गयी है. यह संख्या कुल नामांकित छात्रों की संख्या का लगभग 50 प्रतिशत है. इस तरह भी 50 प्रतिशत बच्चों ने या तो कम उपस्थिति दर्ज करायी या स्कूल से बाहर रहे.

नामांकित बच्चों में से दो लाख बच्चों का एक साथ मूल्यांकन परीक्षा में शामिल नहीं होना एक गंभीर मामला है. अभी तो रिपोर्ट कार्ड बांटा जा रहा है. रिपोर्ट कार्ड बांटे जाने के बाद इस मुद्दे की समीक्षा की जायेगी. बच्चे ड्रॉप आउट हुए हैं या उनका फर्जी नामांकन हुआ है, इसकी भी समीक्षा की जायेगी.

सुभाष कुमार गुप्ता, डीपीओ, प्रारंभिक शिक्षा

कटिहार

Next Article

Exit mobile version