अररिया. आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ शनिवार छह जुलाई से शुरू हो रहा है व इसका समापन 15 जुलाई सोमवार को होगा. गुप्त नवरात्रि नौ दिन नहीं, बल्कि इस बार 10 दिनों का है. माता रानी के भक्त गुप्त नवरात्रि के दौरान 10 महाविद्या विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं. दिन के हिसाब से माता दुर्गा घोड़े पर सवार होकर धरती पर आने वाली हैं. माना जाता है कि जब घोड़े पर सवार होकर माता दुर्गा आयेंगी, तो प्राकृतिक आपदा की आशंका होती है. इस दिन श्रद्धालु निराहार या फलाहार रहकर मां के 10 रूपों की आराधना करते हैं. प्रतिपदा तिथि में घर व मंदिर में कलश स्थापना की जायेगी.
इन बातों की नहीं करें अनदेखी
आचार्य पंडित शिवादित्य पांडेय ने बताया कि आषाढ़ गुप्त नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के रौद्र रूपों 10 महाविद्याओं की पूजा होती है. इस दौरान साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए. इस दौरान तामसिक चीजों से परहेज बहुत जरूरी होती है. घर में देवी के रौद्र स्वरूपों की स्थापना नहीं करनी चाहिए. क्योंकि यह तंत्र विद्या के लिए महत्वपूर्ण है. माना जाता है इस दौरान तंत्र-मंत्र का अधिकार सिर्फ तांत्रिकों को होता है. आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान गृहस्थियों को सिर्फ हवन व सात्विक पूजा का पालन करना चाहिए. इस दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं. इस मौके पर जवार नहीं बोये जाते हैं. आषाढ़ गुप्त नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नामों का जाप बेहद शुभ माना जाता है.
गुप्त नवरात्र का मुहूर्त
आचार्य पंडित शिवादित्य पांडेय नवरात्रि के पहले दिन विधि-विधान के साथ कलश की स्थापना की जाती है. वहीं आषाढ़ महीने के गुप्त नवरात्र के घट स्थापन का शुभ मुहूर्त 06 जुलाई सुबह 05:11 से लेकर 07:26 बजे तक कर सकते हैं. यदि इस मुहूर्त में कलश स्थापन नहीं कर पाते हैं, तो अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 से लेकर 12 बजे तक कर लें. इन दो मुहूर्त में कलश स्थापन करना शुभ रहने वाला है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है