प्रतिनिधि, अररिया सदर अस्पताल पहुंचने वाले ऐसे मरीज जो दुर्घटना, मारपीट में घायल या किसी भी प्रकार से कानून के दायरे में आने वाले मरीजों का ब्योरा जिला अस्पताल से थाना को दिया जाना है. इसके लिए अस्पताल से एक ऑडी स्लिप भेजा जाता है. इससे पुलिस को हर मामले की जानकारी रहती है. लेकिन कुछ स्वास्थ्य कर्मी अपने निजी फायदे के ज्यादातर विषपान करने वाले मरीज का मामला थाना में ऑडी स्लिप भेज कर नहीं देते हैं. कुछ मामलों में मरीज की मौत भी हो जाये तो भी इसकी सूचना पुलिस तक नहीं पहुंच पाती है. ताज्जुब की बात तो यह है कि जिन 12 मामलों में ऑडी स्लिप थाना तक नहीं गया है, उनमें से कुछ मामलों में तो मरीजों की मौत भी हो गयी है. परिजन शव को लेकर अपने घर तक चले गये बावजूद आज तक उनके संदर्भ में कोई भी सूचना पुलिस तक नहीं पहुंच पायी. ऐसे में यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि सदर अस्पताल जैसे सरकारी प्रतिष्ठान में भी वरीय अधिकारियों के नाक के नीचे अवैध कार्य अंजाम दिये जा रहे हैं, जिन मामलों में पुलिस कोई भी कार्रवाई नहीं कर पा रही है. ऐसे दोषियों के विरुद्ध कब कार्रवाई होती है देखना लाजिमी होगा. होगी कार्रवाई विषपान, बुरी तरह झुलसा, मारपीट में जख्मी, सड़क हादसे में प्राथमिक उपचार शुरू होने के बाद अगर संबंधित चिकित्सक ऑडी स्लिप थाना को नहीं देते हैं तो यह कानून का उल्लंघन है. ऐसी शिकायत की जांच की जायेगी व दोषी कर्मियों, चिकित्सकों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी. डॉ आकाश कुमार, सदर अस्पताल अधीक्षक, अररिया.
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