Bihar News: नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी को मिली उम्रकैद की सजा, शौच जाते समय दिया था घटना को अंजाम

Bihar News: अररिया में नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के मामले में एक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा मिली है. कोर्ट ने आरोपी को आर्थिक दंड भी दिया है. आरोप है कि बच्ची शौच के लिए जा रही थी तभी आरोपी ने घटना को अंजाम दिया.

By Aniket Kumar | January 24, 2025 2:25 PM

Bihar News: बिहार के अररिया में दिव्यांग नाबालिग बच्ची के साथ गन्दा काम करने के मामले में कोर्ट ने आरोपी मोहम्मद चुन्ना को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. आरोपी ने शादी का झांसा देकर पीड़िता के साथ गलत काम किया था. इसके बाद पीड़िता गर्भवती हो गई. मामले में आरोपी के भाई मोहम्मद जावेद आलम को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया गया है. कोर्ट ने आरोपी मोहम्मद चुन्ना पर 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. जुर्माना न चुकाने पर एक महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. इसके अलावा पीड़िता और उसके बच्चे के लिए 7 लाख रुपए के मुआवजे का भी आदेश दिया गया है. मुआवजे की राशि में से 4 लाख रुपए पीड़िता को और 3 लाख रुपए उसके नाबालिग बेटे के लिए बैंक में एफडी के रूप में जमा किए जाएंगे. 

शौच के लिए गई थी पीड़िता

बता दें, मामले में यह फैसला स्पेशल पॉक्सो केस नंबर 43/2018 और महिला थाना कांड संख्या 77/2018 में दिया गया है. पॉक्सो एक्ट के स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर डॉ श्याम लाल यादव के मुताबिक, घटना उस समय हुई जब पीड़िता शाम के समय शौच के लिए गई थी. वहां पहले से मौजूद आरोपी ने चाकू का डर दिखाकर पीड़िता के साथ रेप की घटना को अंजाम दिया था. 

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भारत में रेप को लेकर क्या है कानून?

भारत में दुष्कर्म के संबंध में कड़ा कानूनी प्रावधान हैं, जो भारतीय दंड संहिता (IPC) में उल्लिखित है. 2013 में निर्भया कांड के बाद दुष्कर्म से जुड़ी सजा और दंड में बदलाव किए गए थे. भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में दुष्कर्म की परिभाषा दी गई है, जिसमें महिला की सहमति के बिना शारीरिक संबंध बनाने को अपराध माना जाता है. धारा 376 के तहत दुष्कर्म करने पर न्यूनतम 7 साल की सजा से लेकर उम्रभर की सजा हो सकती है. साथ ही, यदि पीड़िता की उम्र 12 वर्ष से कम हो तो दोषी को उम्रभर की सजा या मृत्युदंड भी हो सकता है. इसके अलावा, अपराधियों को तत्काल सजा देने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट और समयबद्ध जांच की प्रक्रिया भी लागू की गई है. यह कानून महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम है.

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