पंकज झा, अररिया. अररिया लोकसभा सीट पर एक बार फिर भाजपा का दबदबा कायम रहा. प्रदीप सिंह लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने में सफल रहे. इस चुनाव में प्रदीप कुमार सिंह की ये लगातार दूसरी जीत है. इसके साथ ही अररिया लोकसभा सीट जीत कर उन्होंने तीसरी बार सांसद बनने का गौरव हासिल किया है. हालांकि, यह चुनावी जीत उनके लिये पहले की तरह आसान नहीं था. इस बार लोकसभा चुनाव के चौकाने वाले नतीजों के बीच उनकी ये जीत कई मायनों में बेहद खास मानी जा रही है. लोकसभा सीट पर मुख्य चुनावी मुकाबला भाजपा व राजद के बीच होना पहले से तय था. चुनाव से पहले राजद ने पार्टी की टिकट से पूर्व में सांसद रह चुके राजद नेता व पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री दिवंगत मो तस्लीमुद्दीन के बड़े बेटे मो सरफराज आलम की जगह उनके छोटे भाई जोकीहाट के वर्तमान विधायक व महागठबंधन सरकार में बिहार सरकार के आपदा मंत्री रहे मो शाहनवाज आलम को टिकट देकर सबको चौंका दिया था. चुनाव से पहले ही राजद उम्मीदवार मो शाहनवाज आलम को अपनी वाकपटूता व मजबूत छवि के दम पर जनता के दिलों में अपनी जगह बना चुके थे. इसलिये पार्टी का ये फैसला तुरूप का इक्का साबित हुआ. उन्होंने चुनावी रण में अपने प्रतिद्वंदी भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह को जबरदस्त चुनौती दी. काउंटिंग से ठीक पहले तक दोनों उम्मीदवारों में से किसी एक के जीत के प्रति आश्वस्त नहीं दिखे. माय समीकरण को साधने में कामयाब रहती राजद, तो नहीं जीत पाती भाजपा राजद ने इस सीट पर दोबारा बादशाहत कायम करने के लिये जी तोड़ मेहनत की. यहां तक कि तेजस्वी यादव ने ही राजनीतिक फिजां को अपने पक्ष में करने के लिये 15 से अधिक रैलियां व सभाएं की. शुरू से ही राजद मुस्लिम व राजद वोटों का धुव्रीकरण अपने पक्ष में करके चुनावी सेहरा अपने माथे में बांधने की रणनीति साधने की कोशिशों में जुटे रहे. काफी हद तक वे इसमें कामयाब भी दिखे. वोटिंग प्रतिशत में आयी कमी व वोटिंग के बाद यादव वोटों के मत विभाजन की भी क्षेत्र में काफी चर्चा रही, लेकिन राजद खेमा चुनाव नतीजे को अपने पक्ष में करने में नाकामयाब रहा. इधर, देश के अन्य हिस्सों में भले ही इस बार मोदी लहर अधिक असरदार नहीं रहा हो, लेकिन अररिया लोकसभा सीट पर शुरू से इसका स्पष्ट प्रभाव देखा जा रहा था. वहीं प्रदीप सिंह की लोकप्रियता व राजनीतिक सूझबूझ के आगे विपक्षी दलों की एक न चली. वोटिंग के दौरान शुरू से ही भाजपा की बढ़त देखी गयी. हालांकि, राजद भी मजबूती के साथ उनका पीछा करता दिखा, लेकिन पहले राउंड से भाजपा के पक्ष में जारी मतों की बढ़त काउंटिंग के 24-25 वें राउंड आते-आते निर्णायक मोड़ ले चुका था. इस समय तक भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह निर्णायक बढ़त हासिल कर चुके थे. हालांकि, 27 वें राउंड की गितनी में जब प्रदीप कुमार सिंह महज 20 हजार 94 वोटों से ही जीत पाये तो लोगों ने यह जरूर कहा कि सांसद प्रदीप कुमार सिंह इस बार माय समीकरण में पूरी तरह से सेंध नहीं लगा पाये. डीएम के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम दिन भर मतगणना कार्यों का करते रहे मॉनीटरिंग अररिया. अररिया लोकसभा सीट पर मतगणना का कार्य मंगलवार को शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ. सफल व शांतिपूर्ण माहौल में मतगणना संपन्न कराने को लेकर जिला प्रशासन के स्तर से विभिन्न स्तरों पर जरूरी इंतजाम किया गया था. मतगणना के दौरान शहर में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम दिखे. मतगणना कार्य की सफलता पिछले 10 दिनों से की जा रही थी. इसका सार्थक परिणाम देखा गया. मतगणना परिसर व इसके आसपास प्रशासन अहले सुबह से ही मुस्तैद दिखा. मतगणना स्थल की सुरक्षा अभेध थी. चुनाव प्रेक्षकों के साथ जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीएम का काफिला सुबह 7:30 बजे मतगणना परिसर कृषि उत्पादन बाजार समिति पहुंच चुका था. वीवीपैट पर्ची की गिनती शुरू होने से पूर्व डीएम के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम सभी मतगणना के लिये विधानसभावार बनाये गये सभी छह हॉल का मुआयना करते हुए उपलब्ध इंतजाम का जायजा लेते हुए अधिकारियों को चुनाव कार्य की सफलता को लेकर जरूरी सुझाव देते दिखे. जिला निर्वाचन पदाधिकारी पूरे दिन मतगणना संबंधी कार्यों की मॉनीटरिंग करते रहे. बाजार समिति मुख्य द्वार की सुरक्षा व्यवस्था की कमान डीईओ संजय कुमार संभाल रहे थे. जबकि भीतरी परिसर के सुरक्षा की कमान जिला उद्योग महाप्रबंधक कृष्ष्ण कुमार भारती के जिम्मे था. मतगणना कार्य की सफलता में डीएम इनायत खान, जिला एसपी अमित रंजन, डीडीसी रोजी कुमारी, फारबिसगंज एसडीओ शैलजा पांडेय, अररिया एसडीओ अनिकेत कुमार, अररिया नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी भवेश कुमार, वरीय उपसमाहर्ता विरेंद्र कुमार, उप निर्वाचन पदाधिकारी डॉ राम बाबू सहित अन्य अधिकारियों ने अपनी सक्रिय भागीदारी निभायी. निर्दलीय की रहीं महत्वपूर्ण भूमिका, डूबा गये राजद की लुटिया अररिया. लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद इस बार चुनावी अखाड़े में मुख्य प्रतिद्वंदी भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह व राजद के शाहनवाज आलम, बसपा के गौसूल आजम के अलावा छह निर्दलीय प्रत्याशियों ने खुद की जीत का तो नहीं, लेकिन राजद के हार का कारण जरूर बना. इन उम्मीदवारों में हिंदू उम्मीदवार के रूप में डॉ शत्रुघ्न मंडल 13 हजार 746 मत लाकर तीसरे स्थान पर रहें. वहीं पढ़े-लिखे उम्मीदवार के रूप में चर्चा में आये अखिलेश कुमार यादव मतदाताओं को रिझाने में नाकामयाब रहें वे महज पांच हजार 120 मत ही ला पाये. इस प्रकार दोनों ने 18 हजार 866 वोट तो लाया, लेकिन वे एनडीए के हार का कारण नहीं बन पाये, जबकि अल्पसंख्यक उम्मीदवार के रूप में बसपा के गौसूल आजम 12 हजार 690, निर्दलीय मो मोबिनुल हक 12 हजार आठ, मो इस्माइल 07 हजार 354, मुश्ताक आलम 04 हजार 899, जावेद अख्तर तीन हजार 41 मत आये. इस प्रकार इन अल्पसंख्यक उम्मीदवारों ने 39 हजार 992 मत लाकर राजद की जीत की संभावनाओं को हार की कील ठोक दी. हालांकि, प्रदीप कुमार सिंह की हीं राजनीतिक महत्वाकांक्षी के लिये बनाये गये ओबीसी नेता डॉ शत्रुध्न कुमार सुमन अपने आप को प्रदीप सिंह को हराने के लिये निर्दलीय चुनाव लड़ गये, लेकिन न केवल उन्हें 13 हजार 746 मतों से संतुष्ट होना पड़ा, बल्कि मंडल वोट में उनकी सेंधमारी भी सफल नहीं हो पायी. इस प्रकार तीसरी बार भाजपा के प्रत्याशी प्रदीप कुमार सिंह 06 लाख 146 वोट लाकर राजद के शाहनवाज आलम को 20 हजार 94 मतों से हराने में सफल रहें. हालांकि शाहनवाज को कुल 05 लाख 80 हजार 52 मत प्राप्त हुए.
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