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आज भी प्रासंगिक है बट सावित्री पर्व

वट-सावित्री व्रत आज

जोकीहाट. यूं तो सभी धर्म सौहार्द व शांति का संदेश देता है. लेकिन सनातन धर्म प्रकृति से प्रेम कर स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूक करता है. वट सावित्री पर्व जून महीने में मनाया जाता है. इस पर्व की विशेषता है कि इस पर्व में विवाहित महिलाएं वटवृक्ष की पूजा अर्चना करतीं हैं. वटवृक्ष में धागा बांध कर प्रकृति से जुड़ने की कोशिश होती है. वटवृक्ष वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी मानव जीवन के लिए उपयोगी है क्योंकि यह भरपूर ऑक्सीजन देता है. आज जब ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया में गर्मी से हाहाकार मची है. भूगर्भीय जल स्तर नीचे चला जा रहा है तो ऐसे में वृक्षों को संजोने व वनों के संरक्षण पर दुनिया भर के पर्यावरणविद आवाज उठा रहे हैं. लेकिन भारतीय धर्म व संस्कृति वृक्षों के संरक्षण के लिए हजारों वर्षों से संदेश देता रहा है. इस पर्व में बांस के बने चंगेरा, फुलडाली, पंखा, फल, फूल, पकवान से पूजा अर्चना को प्राथमिकता दिया जाता है.आज प्लास्टिक के धड़ल्ले उपयोग से कैंसर, चर्म रोग पांव पसार रहा है. लेकिन हमारे पर्व और परंपराएं बाजारों में बांस से बने डाली, चंगेरा फुलडाली, बेना आदि के प्रयोग का संदेश देता है. वट सावित्री के कारण बाजारों में बांस से बने सामनों की खूब बिक्री हो रही है. इससे रोजगार भी लोगों को मिलता है. पीढ़ी दर पीढ़ी डाली, चंगेरा, फुलडाली, पंखा बनाकर बेचने का काम कर रही कामगारों की रोजगार भी मिलती है. बस स्टैंड अररिया हनुमान मंदिर के निकट की सुशीला देवी पति धन्ना मल्लिक ने बताया कि बांस से बने चंगेरा फुलडाली पंखा बेना आदि की मांग अभी काफी बढ़ गयी है. इससे हमारा रोजगार भी चलता है. इस धंधे में उस मोहल्ले की रेखा देवी महेंद्र मल्लिक, राजन मल्लिक, गीता देवी पति देवानंद मल्लिक, राजन मल्लिक की पत्नी पूनम देवी, बुल्ली देवी पति स्वर्गीय जुगनू मल्लिक दशकों से हाथ से बने बेना चंगेरा, फुलडाली, पंखा आदि बनाकर बेचती हैं. सुशीला देवी ने बताया कि एक चंगेरा दो सौ रुपये में बेचती हूं. वट सावित्री पर्व आने का हमें इंतजार रहता है. धन्ना मालिक ने बताया कि 40 वर्षों से इस काम में जुटीं हूं. बाल बच्चों को भी पुश्तैनी काम से जोड़कर रख रही हूं. धन्ना मल्लिक ने बताया कि उनका बेटा अर्जुन यूनियन बैंक में काम करता है. बीए पास, नैना इंटर पास, अजय मल्लिक, विजय बीए पास हैं, लेकिन पार्ट टाइम इस धंधे में भी हाथ बंटाते हैं. हम तो चाहते हैं कि वट सावित्री पर्व बार बार आये.

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