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पौष पूर्णिमा को लेकर सुंदरनाथ धाम में लगी श्रद्धालुओं की भीड़

श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

10-प्रतिनिधि, कुर्साकांटा

ऐतिहासिक शिव मंदिर सुंदरनाथ धाम में सोमवार को पूसी पूर्णिमा के अवसर पर अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं ने शिवगंगा में डुबकी लगाकर जलाभिषेक के साथ पूजा अर्चना की. महंत सिंहेश्वर गिरी ने बताया कि प्रातःकालीन दैनिक पूजा के बाद शिव मंदिर का गर्भगृह, माता पार्वती मंदिर के साथ अन्य स्थापित देवी देवताओं के पट को आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया. पौष पूर्णिमा में भारतीय क्षेत्र के साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी काफी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे. श्रद्धालुओं की संख्या लगभग 15 हजार रही तो दर्जनों लोगों ने मुंडन संस्कार भी कराया. पौष पूर्णिमा में सुंदरनाथ धाम में उमड़ने वाली भीड़ को पूजा अर्चना में किसी भी तरह की परेशानी न हो को लेकर न्यास समिति तत्परता से लगी रही. इधर पौष पूर्णिमा में उमड़ने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने व सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ रखने को लेकर कुआड़ी थानाध्यक्ष रौशन कुमार सिंह सदलबल मंदिर परिसर में मौजूद थे.

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तिल-गुड़ का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद : पंडित बंशीधर ठाकुर

सिकटी. सूर्य देव के दक्षिणायन से मकर राशि मे प्रवेश करने के साथ ही उत्तरायण की स्थिति में मकर राशि में प्रवेश के साथ ही मौसम व ऋतु परिवर्तन होने के आसार बनने लगते हैं. मंगलवार को यह स्थिति का योग राशियों के बदलने से हो रहा है. जिसको मकर संक्रांति के रूप में जानते हैं. इस अवसर पर देश के अलग अलग भागो में कहीं मकर संक्रांति तो कही पोंगल व लोहड़ी का आयोजन होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन गुड़ व तिल खाना स्वास्थ्य के लिए सर्वाधिक हितकारी होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं.सूर्य व शनि का संबंध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.वैसे तो हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी के दिन ही मनाया जाता है, मकर संक्रांति को लेकर प्रखंड क्षेत्र में धूम मची है,खासकर बच्चों में अलग सा उत्साह है.हिन्दू धर्म में इसे एक प्रमुख त्योहार माना जाता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर घूमते हुए मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है, जिसे उत्तरायण भी कहा जाता है. पंडित बंशीधर ठाकुर की माने तो उनका कहना है कि कई त्योहार ऐसे होते हैं जो उदया तिथि में मनाए जाते हैं. मकर संक्रांति का त्योहार भी इन्हीं में से एक है. जब सूर्य अपनी राशि परिवर्तन करके मकर राशि में प्रवेश करते हैं व निश्चित तिथि संक्रांति होती है. इसलिए इसको मकर संक्रांति कहते हैं. चूंकि मकर संक्रांति सूर्य की उपासना का पर्व है. मकर संक्रांति पर सूर्य के तर्पण का तो विशेष महत्व है ही साथ ही साथ इस दिन तिल का लेप, तिल के पानी से भी स्नान करना, तील का दान करना चाहिए. गरीबों व निःसहाय लोगो को खिचड़ी दान करने का विशेष महत्व है.

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