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इलाज के दौरान दो मरीजों की मौत के बाद तोड़फोड़

परिजनों ने डॉक्टर पर लगाया इलाज में लापरवाही का आरोप

फारबिसगंज. अनुमंडलीय अस्पताल फारबिसगंज में गुरुवार की रात सर्पदंश की शिकार 19 वर्षीय एक युवती व बीमार 84 वर्षीय एक बुजुर्ग की इलाज के दौरान हुई मौत से आक्रोशित परिजनों ने अनुमंडल अस्पताल फारबिसगंज में हंगामा करते हुए तोड़फोड की. इस क्रम में अस्पताल उपाधीक्षक डॉ केएन सिंह, चिकित्सक डॉ प्रमोद कुमार सहित ड्यूटी पर तैनात जीएनएम प्रतिमा सिंह, अनिता कुमारी, कर्मी अजय कुमार पासवान, राम नाथ सहित अन्य किसी तरह जान बचाकर अस्पताल से बाहर निकले. गुरुवार की रात करीब 10 बजे सर्पदंश की शिकार मरीज रीना कुमारी को उनके परिजन इलाज के लिए अनुमंडल अस्पताल पहुंचे. जहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक प्रमोद कुमार ने उपचार किया. इसी दौरान बीमार वृद्ध 84 वर्षीय आमिर हुसैन उर्फ अमर हुसैन को भी परिजनों ने इलाज के लिए अस्पताल लाया. इलाज के दौरान वृद्ध की मौत हो गयी. इसके कुछ समय बाद सर्पदंश की शिकार इलाजरत युवती की भी मौत हो गयी. इससे दोनों मरीज के परिजनों के बीच कोहराम मच गया. आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल में हंगामा करना शुरू कर दिया. लोगों को हंगामा करते देख अस्पताल के चिकित्सक व सभी स्वास्थ्य कर्मी किसी तरह अपनी जान बचाकर वहां से भाग निकले. अस्पताल प्रशासन ने इसकी सूचना फारबिसगंज थाना पुलिस को दी. सूचना मिलते ही अनि राजा बाबू पासवान, सौरभ सिंह, सअनि हरेंद्र कुमार सहित अन्य कनीय पुलिस पदाधिकारी पुलिस बल व 112 नंबर के पुलिस वाहन में गश्ती कर रहे अनि लक्षमण राम सदल बल अस्पताल पहुंचे. परिजनों से घटना की जानकारी लेते हुए हंगामा कर रहे आक्रोशित लोगों को स्थानीय लोगों के सहयोग से शांत कराने के प्रयास में जुट गये. बावजूद इसके देर रात तक अस्पताल में हंगामा होता रहा. इस बीच वृद्ध मृतक के परिजन शव लेकर अपने घर चले गये. लेकिन सर्पदंश की शिकार युवती के परिजन पूरी रात अस्पताल में ही रहे. शुक्रवार की सुबह पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया. सर्पदंश की शिकार मृतका 19 वर्षीय रीना कुमारी पिता राम प्रकाश यादव मृदौल वार्ड संख्या छह थाना नरपतगंज जिला अररिया व वृद्ध मृतक का नाम 84 वर्षीय उम हुसैन पिता मो इसहाक चौरा परवाहा वार्ड संख्या 13 भागकोहेलिया थाना फारबिसगंज निवासी है. परिजनों ने चिकित्सकों पर लगाया इलाज में लापरवाही का आरोप इलाजरत युवती व वृद्ध की मौत से आक्रोशित परिजनों ने घटना के लिए अस्पताल के चिकित्सक व कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाया. सर्पदंश का शिकार मृतक युवती रीना कुमारी के चाचा पंचम यादव उर्फ चंचल यादव ने बताया कि उनकी भतीजी रीना कुमारी को गुरुवार को सर्पदंश का शिकार हो गयी थी. बिना समय गंवाये उसे इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल लाया गया. चिकित्सकों ने इलाज शुरू किया इस क्रम में एक इंजेक्शन बाहर से लाने के लिए परिजनों को कहा गया. इंजेक्शन लाने के लिए रेफरल रोड से सदर रोड तक मेडिकल दुकानों में गये लेकिन इंजेक्शन नहीं मिला. उन्होंने कहा कि इंजेक्शन नहीं मिलने के बाद जब वे अस्पताल पहुंचे तो उनकी भतीजी की मौत हो चुकी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि चिकित्सक के द्वारा ईलाज में लापरवाही बरतने के कारण उनकी भतीजी की मौत हो गयी. जबकि 84 वर्षीय मृतक मरीज चौरा परवाहा भागकोहेलिया निवासी आमिर हुसैन उर्फ अमर हुसैन के पुत्र मो जहांगीर ने कहा कि उनके पिता को महज एक उल्टी हुई. तो वे लोग उसे इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल लेकर पहुंचे थे. लेकिन अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने उनके मरीज को देखा तक नहीं. इसके कारण उनके पिता की मौत हो गयी. कहा यदि चिकित्सक देख लेते इलाज करते तो शायद उनके पिता की जान बच सकती थी. यही नहीं उन्होंने अस्पताल में पर्ची बनाने राशि मांगने का भी आरोप लगाया. ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों ने कहा घटना के वक्त अनुमंडल अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ प्रमोद कुमार ने दोनों मरीजों के परिजनों के आरोपों को बेबुनियाद बताया. उन्होंने कहा कि सर्पदंश की शिकार मरीज 19 वर्षीय रीना कुमारी को जब उनके परिजन इलाज के लिए अस्पताल लेकर आये. तो मरीज की हालत सही नहीं थी. उसका उपचार प्रारंभ करते हुए उसे 15 एएसभी इंजेक्शन दिया गया. इलाज जारी था. इसी क्रम में 84 वर्षीय बुजुर्ग मरीज को भी इलाज के लिए अस्पताल लाया गया. इलाज शुरू करने से पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी. वृद्ध की मौत की जानकारी जैसे ही उनके परिजनों को दी गयी. परिजन आक्रोशित हो उठे और हो हंगामा शुरू कर दिया. इसी क्रम में ईलाजरत सर्पदंश की शिकार युवती की भी मौत हो गयी. हालात बिगड़ने के बाद किसी तरह अपनी जान बचा कर अस्पताल से भागना पड़ा. कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक मामले में अस्पताल उपाधीक्षक डॉ केएन सिंह ने कहा कि अस्पताल में दो मरीजों की मौत के बाद जो उपजे हालात में चिकित्सक व कर्मियों के लिए काम करना बेहद मुश्किल था. डॉ व कर्मियों की सुरक्षा का सवाल उठाते हुए उन्हें घटना पर अपनी निराशा व्यक्त की. उन्होंने बताया कि घटना की सूचना पर जब वे अस्पताल पहुंचे तो उनके साथ भी लोगों ने बदसलूकी की. दोनों मरीज के इलाज में किसी तरह की लापरवाही के आरोप को उन्होंने बेबुनियाद बताया. ……………… इमरजेंसी सेवा बाधित रहने से इलाज के लिए भटकते रहे लोग प्रतिनिधि, फारबिसगंज इलाजरत दो मरीजों की मौत के बाद अस्पताल में हो हंगामा के कारण अस्पताल की इमरजेंसी सेवा पूरी रात ठप्प रहा. इस काराण इलाज के लिये आने वाले मरीज व उनके परिजनों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा. इलाज के लिये मरीज व परिजन देर रात इधर-उधर भटकते रहे. शुक्रवार की सुबह पहुंचे अस्पताल उपाधीक्षक डॉ केएन सिंह व अस्पताल प्रबंधक डॉ नाजिश अहमद नियाज व पीएचसी प्रभारी डॉ राजीव कुमार बसाक ने चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों को समझा बुझा कर अस्पताल में ओपीडी व इमरजेंसी सेवा का फिर से बहाल कराया. इसके बाद इमरेजेंसी सेवा फिर से बहाल हो सका. —————————- परिजनों के चीत्कार से गमगीन हुआ माहौल फारबिसगंज. घटना के बाद मृतक के परिजनों के चीत्कार से अनुमंडलीय अस्पताल के आसपास का माहौल पूरी तरह गमगीन बना रहा. सर्पदंश की शिकार रीना देवी के शव से लिपट कर विलाप कर रही उनकी मां अनारी देवी व अन्य परिजनों को वहां मौजूद लोग सांत्वना देते रहे. बताया गया कि मृतिका तीन बहन व दो भाई में सबसे छोटी थी. जो कक्षा नवम की छात्रा थी. मृत वृद्ध के बारे में बताया गया कि मृतक के परिवार में तीन पुत्र व 04 पुत्रियां हैं. …………. अस्पताल उपाधीक्षक ने चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों के साथ की बैठक स्वास्थ्य अधिकारियों प्रशासन से की उक्त मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग प्रतिनिधि, फारबिसगंज गुरुवार की देर रात अनुमंडल अस्पताल फारबिसगंज में घटित घटना के बाद आक्रोशितों द्वारा किये गये उग्र प्रदर्शन से अस्पताल के अधिकारी व कर्मी अपनी सुरक्षा को लेकर सशंकित हैं. घटना के बाद शुक्रवार को अस्पताल उपाधीक्षक की अध्यक्षता में अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक व कर्मियों की बैठक आयोजित की गयी. इस क्रम में अस्पताल उपाधीक्षक ने कहा कि घटना के बाद अस्पताल में आक्रोशित परिजन हो हंगामा करने लगे. इस क्रम में बाहर से आदमी भी बुलाया लिया गया. ऑन ड्यूटी चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी व सुरक्षा गार्ड पर जानलेवा हमला किया गया. महिला स्वास्थ्य कर्मियों से गाली गलौज व गलत व्यवहार की गयी. अस्पताल उपाधीक्षक ने बैठक में मौजूद चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों को बताया कि जब उन्हें घटना की जानकारी मिली तो वे अस्पताल पहुंचे वातावरण भयावह था. उन पर भी जानलेवा हमला किया गया. ड्यूटी पर तैनात गार्ड व कर्मियों के द्वारा उन्हें किसी प्रकार बाहर निकाला. उन्होंने कहा कि प्रशासन को तुरंत सूचना देने के बावजूद प्रशासन के द्वारा ससमय उचित कार्रवाई नहीं की गयी. जो खेदजनक है. उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन सूचना प्राप्त होते ही तुरंत सहयोग करती तो हंगामा को उग्र होने से रोका जा सकता था. जिस प्रकार आये दिन इस तरह की घटना अस्पताल में चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों के साथ घटित हो रही है. उससे चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी कार्य करने में असहजता महसूस कर रहे है. कहा कि इस प्रकार भय के माहौल चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी अपना काम नहीं कर सकते हैं. लिहाजा प्रशासन द्वारा संबंधित मामले में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित कराया जाना चाहिये. यदि घटना में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी तो सभी कर्मी सामूहिक रूप से विरोध के लिये बाध्य होंगे. बैठक में अस्पताल उपाधीक्षक डॉ केएन सिंह, अस्पताल प्रबंधक डॉ नाजिश अहमद नियाज, पीएचसी प्रभारी डॉ राजीव कुमार बसाक, डॉ सरबजीत निरंजन, डॉ कृष्ण मोहन, डॉ मनोज कुमार, डाटा एंट्री ऑपरेटर आदिल ईमाम, जयप्रकाश मंडल सहित अन्य उपस्थित थे.

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