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नागपंचमी पर मंदिर में पूजा-अर्चना को उमड़े श्रद्धालु

सुबह से ही मंदिरों में लगी रही भीड़

फोटो:-13- मंदिर में उमड़ी भक्तजनों की भीड़. प्रतिनिधि,फारबिसगंज

नागपंचमी पर शुक्रवार को शहर के स्थानीय द्विजदेनी स्कूल बगीचा चौक के समीप स्थित स्थित शिव मंदिर व हनुमान मंदिर के प्रांगण में भक्तजनों के द्वारा दूध-लावा फल-फूल आदि चढ़ाकर पुजारी पंडित मेघन मिश्र के सान्निध्य में पूरे भक्ति भाव के साथ पूजा अर्चना की गयी. इस मौके पर विनोद कुमार तिवारी ने उपस्थित भक्तों को बताया कि हिंदू पंचांग सावन मास का महत्वपूर्ण पर्व है. नागपंचमी भगवान शिव के प्रिय मास सावन में उनके गणों का पूजन भी महत्वपूर्ण है. अतः मान्यता है कि नागपंचमी के दिन नागदेवता की पूजा करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं. कहा कि हमारी पौराणिक कथाओं में सर्पों को भगवान शिव व विष्णु के सहयोगी के रूप में दर्शाया गया है व उन्हें शक्ति व ज्ञान के प्रतीक के रूप में माना जाता है. हिंदू धर्म में नागों को नागदेवता भी कहा गया है. नागपंचमी”” के दिन आठो नागों- अनन्त, बासुकी, पध्म, महापध्म, तक्षक, कुलीक, कर्कट व शंख की पूजा-अर्चना की परंपरा है. अन्त में भक्तजनों में सीमा राय, राजु सिंह, दिनेश दास, पंकज झा, प्रतीक तिवारी, मनीष राज, विक्रम दास, विशाल दास, राहुल सिंह आदि के द्वारा खीर प्रसाद का वितरण किया गया.

महिलाओं ने रक्षा के लिए की नाग देवता की पूजा

फोटो-12- नाग पंचमी पर पूजा-अर्चना करते महिलाएं.

सिकटी. प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है. महिलाओं ने मुख्य रूप से नाग देवता के 12 रूपों की पूजा-अर्चना की. शिव मंदिरों में शिव के साथ ही नाग देवता की पूजा की गई. बच्चों ने तालाब, पोखरों व नदी के किनारे परंपरागत तरीके से गुड़िया पीटा. लोगों ने कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए विभिन्न मंदिरों, नदी व तालाबों के पास पूजा-अर्चना कराई. नागपंचमी के अवसर पर घर में सुख संपन्नता व समृद्धि के लिए सुबह परंपरागत परिधानों में सजी-धजी महिलाओं व युवतियों ने शिवमंदिर पहुंच पूजा-अर्चना की. सुबह से घरों के बाहर गोबर से नाग देव का चिन्ह बनाकर उसकी पूजा की गयी. महिलाओं ने नागदेव की कथा भी सुनी. पंडित वंशीधर ठाकुर की माने तो उन्होंने बताया कि वेद पुराणों में भी जिक्र है कि शेषनाग के द्वारा हीं देव व दानवों के बीच किया गया समुद्र मंथन संभव हो पाया था व देवताओं को अमृत कलश प्राप्त हुआ था. इस कारण से भी लोग नागों की पूजा करते हैं. भगवान विष्णु भी शेषनाग की शैया में विश्राम करते हैं, ये भी एक बड़ा कारण हैं इन्हें पूजने का.नागपंचमी के दिन महिलाएं सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं व भाई से अपने कुटुंबजन की रक्षा का आशीर्वाद मांगती हैं.

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