फारबिसगंज. फारबिसगंज जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा के द्वारा एक बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें स्थानीय तेरापंथ सभा के संरक्षक ,परामर्शक गण, कार्यकारिणी सदस्य के साथ साथ तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, अणुव्रत समिति के गणमान्य सदस्य मौजूद थे. उक्त बैठक आने वाले चातुर्मासिक काल के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत रूप से विचार विमर्श करने के लिए आयोजित की गयी थी. सभा के अध्यक्ष महेंद्र बैद, महिला मंडल की अध्यक्षा सरिता सेठिया, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष आशीष गोलछा, अणुव्रत समिति की अध्यक्षा नीलम बोथरा, परामर्शकगण, संरक्षक सभी ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये व आगामी चातुर्मासिक काल में स्वागत, प्रवेश व अन्य कार्यों को सभी कार्यकर्ताओं में विभक्त कर उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गयी. इस मौके पर सभा के अध्यक्ष ने सभी कार्यकर्ताओं को मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया. बैठक का कुशल संचालन मनोज भंसाली ने करते हुए कहा कि सभी आपस में सहयोग करके इस चातुर्मास को ऐतिहासिक बनाएं. जैसा कि ज्ञात है आगामी चातुर्मास जैन श्वेतांबर तेरापंथ के एकाधिमशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के दिशा निर्देश में उनकी विदुषी सुशिष्य साध्वीश्री स्वर्ण रेखा जी ठाणा चार का होना निश्चित हुआ है. साध्वी श्री स्वर्ण रेखा जी बंगाल,असम में चातुर्मास करते हुए बिहार के फारबिसगंज क्षेत्र में चार माह के चातुर्मास के लिए अररिया की सीमा में प्रवेश कर चुकी है. जैन धर्म में चातुर्मास का बहुत बड़ा महत्व है जैन धर्म में साधु संत वर्षाकाल में सावन से कार्तिक माह तक एक स्थान पर निवास करते हैं बाकी आठ महीने निरंतर पदयात्रा करते रहते हैं. वर्षाकाल में अनेक सूक्ष्मजीवों की उत्पत्ति होती है. उन सूक्ष्मजीवों के जीवो की हिंसा से बचने के लिए चातुर्मास में एक स्थान पर प्रवास करने का विधान है. संभवतः साध्वी श्री स्वर्णरेखा जी अपनी सहवर्ती साध्वीवृन्द के साथ 15 जुलाई को फारबिसगंज के तेरापंथ भवन में प्रवेश करेगी. चातुर्मास को ऐतिहासिक बनाने की तैयारियां जोरों पर चल रही है. .
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