आखिर जय प्रकाश कैसे पहुंचा नेपाल
टोटो वाले की मदद से लिया कमरा
अररिया. 10वीं कक्षा में हीं पढ़ाई के दौरान अपराध की दुनिया में सक्रिय होने काे आतुर था जय प्रकाश. राजस्थान के बीकानेर स्थित जवाहर सर्किल थाना निवासी व रेल कर्मी सांता राम का इकलौता पुत्र कृष्ण कुमार उर्फ जय प्रकाश के पास रुपये की तंगी नहीं थी, पिता ने एक बाइक भी खरीद कर दी थी, उस बाइक के साथ छेड़छाड़ करने वालों के विरुद्ध आक्रोश में आकर वह अपराध की दुनिया में सक्रिय हो गया था. उसने कुछ दिनों बाद बाइक को तोड़ने वालों के ऊपर गोली चला दी थी. हालांकि मामला रफा-दफा हो गया था, लेकिन उसके मंसुबे पर लोरेंस विश्नोइ (एलबी) ग्रुप की नजर पड़ गयी थी, लोरेंस विश्नोइ के छोटे भाई अनमोल विश्नोई का मित्र ऋतिक बोक्सर ने जय प्रकाश को अपना गुर्गा बना लिया, उसे हथियार उपलब्ध कराने के बाद पूरे 10 लाख रुपये में राजस्थान के जी ग्रुप के मालिक अक्षय गुर्गानी के रेस्टोरेंट पर गोली चलाने की सुपारी दी थी. इंटेलिजेंस ब्यूरो (खुफिया एजेंसी ) से मिली जानकारी के अनुसार 28 जनवरी 2023 को गोलीबारी की जब घटना हुई थी, उसे महज 06 लोगों ने अंजाम दिया था. लेकिन मामले में एलबी ग्रुप के 23 लोग आरोपी बनाये गये थे, जिसमें से 23 वें सदस्य के रूप में जय प्रकाश की हीं गिरफ्तारी मुकम्मल नहीं हो पायी थी, जिसे जोगबनी के व्यवसायी पवन साह की निडरता के बाद पकड़ा जा सका. जी ग्रुप के होटल में गोलीबारी के बाद जय प्रकाश अपने चार साथियों के साथ भाग कर यूपी के आगरा पहुंचा, जहां मोबाइल लोकेशन के आधार पर राजस्थान पुलिस ने छापामारी कर चारों को आगरा पुलिस के सहयोग से गिरफ्तार कर लिया, इसके बाद आगरा से उन्हें जैसे हीं पुलिस लेकर जयपुर के लिए निकली कि रास्ते में उन चारों ने पुलिस का हथियार छीन कर उन पर हमला कर दिया, हालांकि पुलिस के जवाबी फायर में जय प्रकाश समेत उसके तीन अन्य साथियों को पांव में गोली लगी. वे जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराये गये, वहां से प्रदीप की हालत गंभीर बनी होने के कारण जय प्रकाश व उसके तीन साथियों को बीकानेर रिमांड होम भेज दिया गया. जहां से तीनों रिमांड होम के खिड़की का रॉड तोड़ कर भाग निकले. वहां से वे तीनों बीकानेर रेलवे स्टेशन पहुंचे, जहां से जयपुर उसके बाद मध्यप्रदेश के इंदोर, उज्जेन, नासिक होते हुए दिल्ली से हरियाणा बहादुरगढ़ पहुंचे, लेकिन राजस्थान पुलिस की सक्रियता से जय प्रकाश का साथी ओमप्रकाश बहादुरगढ़ में गिरफ्तार हो गया. उसके बाद जय प्रकाश रोहतक, भटिंडा होते हुए हरिद्वार पहुंचा, उसके बाद पुन: वह इंदोर पहुंचा, जहां उसे उसके आका संभवत: ऋतिक बाक्सर ने निर्देश दिया कि वह नेपाल जाये, जहां वह महफूज रहेगा. इंदोर से जय प्रकाश मुजफ्फरपुर पहुंचा, जहां से वह बस से सिमराही होते हुए नेपाल के विराटनगर पहुंचा. इस बीच इंदोर के एक बस ड्राइवर के खाता में 20 हजार, 30 हजार व 60 हजार रुपये भेजे गये. इन रुपये के मिलने के बाद जय प्रकाश ने एक मोबाइल भी खरीदी. इस मोबाइल पर हीं ऋतिक बोक्सर ने फेक आइडी बना कर भेजा, जो कि कृष्ण कुमार के नाम से था, इस फेक आइडी के सहारे जय प्रकाश विराटनगर पहुंचा.
टोटो वाले की मदद से विराटनगर में लिया कमरा
विराटनगर पहुंचने के बाद जय प्रकाश वहां समृद्धि पैलेस नामक होटल में 04-05 दिनों तक रुका व खुद को एक्सपोर्ट-इंपोर्ट का व्यवसायी बताया. इस दरम्यान उसकी जान-पहचान एक टोटो ड्राइवर से हो गयी, उसके माध्यम से विराटनगर में 4500 रुपये में एक किराये का कमरा लिया.
कैसे जय प्रकाश के चंगुल में फंसे जोगबनी के व्यवसायी
इंटेलिजेंस ब्यूरो से मिली जानकारी के अनुसार जय प्रकाश के पास जो रुपये थे वह जब समाप्त होने लगा तो लगभग डेढ़ माह पूर्व जोगबनी के वार्ड संख्या 04 इंद्रानगर निवासी पवन साह पिता विनोद साह के पास आया, उसके दुकान के माध्यम से रुपये मंगाने की गुहार लगाने लगा, कम उम्र व मासूम सूरत के झांसा में आकर पवन साह मान गये, उसके बाद जय प्रकाश ने पंजाब नेशनल बैंक के खाता संख्या 9871000100048899 पर 20 हजार रुपये मंगवाया, रुपये मिलने के बाद पवन साह ने दुकान से उसे 20 हजार रुपये नकद दे दिया. लेकिन राजस्थान या संदिग्ध के खाते से हो रहे हर लेन-देन पर राजस्थान पुलिस की नजर थी, पवन साह का खाता राजस्थान पुलिस ने फ्रिज कर दिया. इसके बाद पवन साह जब रुपये निकालने गये, तो बैंक प्रबंधन ने बताया कि आपका एकाउंट फ्रिज कर दिया गया है, पवन साह हतप्रभ हो गये. इसके बाद पवन साह पुन: जय प्रकाश का इंतजार करने लगा, कुछ दिनों बाद पुन: पवन साह से जय प्रकाश ने संपर्क साधा, 08 मई की शाम जय प्रकाश जैसे हीं पवन साह के पास रुपये मंगवाने आया कि जय प्रकाश ने अपने सहयोगियों के साथ उसे पकड़ लिया.
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