मां खड्गेश्वरी महाकाली की आज होगी विशेष पूजा, मां का श्रृंगार होता है आकर्षण का केंद्र

Kali Puja: मां काली के साधक श्री स्वामी सरोजानंद जी महाराज उर्फ नानू बाबा सांसारिकता को त्याग मां काली की अराधना में लगे रहते हैं. उनका कहना है कि मां यहां से किसी को खाली हाथ नहीं लौटाती है. मां कुछ न कुछ सबको देती है.

By Ashish Jha | October 31, 2024 8:50 AM
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Kali Puja: मृगेंद्र मणि सिंह, अररिया. काली पूजा के मौके पर मां खड्गेश्वरी महाकाली की आज मध्य रात्रि विशेष पूजा की जायेगी. विशेष पूजा के लिए किया जानेवाला मां का श्रृंगार भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है. इस अवसर पर जिला व राज्य के विभिन्न हिस्सों के अलावा नेपाल सहित अन्य देशों से मां काली के भक्त अररिया पहुंचते हैं. मां काली के साधक श्री स्वामी सरोजानंद जी महाराज उर्फ नानू बाबा सांसारिकता को त्याग मां काली की अराधना में लगे रहते हैं. उनका कहना है कि मां यहां से किसी को खाली हाथ नहीं लौटाती है. मां कुछ न कुछ सबको देती है.

क्या है मंदिर का इतिहास

मां खड्गेश्वरी काली मंदिर की स्थापना सन् 1884 में हुई थी. 1970 में इस मंदिर की बागडोर परम पूज्य साधक नानू बाबा के हाथों है. इस काली मंदिर में कार्तिक आमावास्या के दिन विशेष पूजा अर्चना होती है. पहले यह मंदिर काफी छोटा था, लेकिन अब इसको भव्य रूप दिया गया है. 1982 में मंदिर का नया गुंबद बनाया गया, जिसकी ऊंचाई 152 फीट है. मंदिर के प्रति लोगों की आस्था बढ़ती जा रही है.1970 से पूर्व पंडित द्वारा तांत्रिक विधि से पूजा की जाती थी. 1978 में नानू बाबा के सानिध्य में वैदिक पूजा की शुरुआत हुई.

खड् से पड़ा मां का नाम खड्गेश्वरी

इस मंदिर की स्थापना किसने की यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन मां खड्गेश्वरी के साधक नानू बाबा कहते हैं कि मां काली के हाथ में खड् रहने के कारण इस शक्ति पीठ का नाम मां खड्गेश्वरी रखा गया. बाबा बताते हैं कि मां काली का रूप सभी देवियों में सबसे उग्र माना जाता है. मां के चार हाथ हैं, एक हाथ में तलवार व एक-एक हाथ में राक्षस का सिर, यह सिर एक बहुत बड़े युद्ध का प्रतिनिधित्व है, जिसमें मां ने रक्तबीज नाम के दानव का वध किया था. बांकी के दो हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए है. मां अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करती हैं.

मंडल कारा के बंदी भेजते हैं फूलों की माला

मां खड्गेश्वरी की पूजा के लिए प्रतिदिन मंडल कारा के बंदियों द्वारा फूल का आकर्षक माला बना कर भेजा जाता है. जिसे मां खड्गेश्वरी की पूजा के बाद बाबा खड्गेश्वर नाथ को चढ़ाया जाता है. बाबा बताते है यह परंपरा लगभग 40 वर्षों से चलता आ रहा है. इसके साथ ही मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर में प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को महाभोग लगता है. इसके साथ ही दोनों दिन मां का श्रृंगार भी किया जाता है. मां की प्रतिमा को रंग बिरंगे चुनरी व कई प्रकार के हार से सजाया जाता है. श्रृंगार के बाद रात में मां को महाभोग लगाया जाता है. महाभोग का खर्च किसी ना किसी भक्त द्वारा उठाया जाता है.

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कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटा

भक्त हमेशा मंदिर में जाते हैं तो अपनी कुछ इच्छाएं भगवान के सामने जाहिर करते हैं व उम्मीद रखते हैं भगवान उन्हें पूरा करेंगे. वह पूरी श्रद्धा व भक्ति के साथ पूजा करते हैं. इन दिनों जिला ही नहीं बल्कि देश दुनिया में भी मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर विख्यात है. इस मंदिर में हजारों भक्त रोजाना मां खड्गेश्वरी महाकाली का दर्शन करने के लिए आते हैं. सभी भक्तों की मां खड्गेश्वरी मांगी गयीं मुरादें भी पुरी करती हैं. जिस कारण मां के दरबार से आज तक कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटा है.

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