दवाओं की खपत व उपलब्धता की हो रही निगरानी

दवाओं की उपलब्धता पहले से हुई बेहतर

By Prabhat Khabar News Desk | May 22, 2024 2:26 PM

अररिया. सरकारी चिकित्सा संस्थानों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को आवश्यक दवाएं नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती है. संस्थानों में दवाओं की खपत व उपलब्धता की मॉनिटरिंग प्रक्रिया अब पहले से आसान हो चुकी है. अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता बनाये रखने, दवा क्रय नीति के निर्धारण, संस्थानवार जरूरी दवाओं की सूची जारी करने, इसका भंडारण, प्रबंधन व आपूर्ति श्रंखला की बेहतरी के लिये डीवीडीएमएस पोर्टल के माध्यम से विशेष इंतजाम किये गये हैं. डीवीडीएमएस पोर्टल के माध्यम से किसी भी संस्थान में दवाओं की खपत व उपलब्धता का आकलन बेहद आसान हो चुका है. विभिन्न स्तरों पर इसकी मॉनिटरिंग भी संभव हो चुका है. विभिन्न स्तरों पर संचालित सरकारी चिकित्सा संस्थान को लेकर आवश्यक दवाओं की सूची तैयार की गयी है. स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था बीएमएसआईसीएल के माध्यम से जिला औषधी भंडार को दवा उपलब्ध कराया जाता है. फिर मांग व आवश्यकता के अनुरूप विभिन्न स्तरों पर इसका वितरित किया जाता है. राज्य स्वास्थ्य समिति के स्तर से जिला अस्पताल के लिए 416, अनुमंडल अस्पताल स्तर पर 312, सीएचसी स्तर पर 309, पीएचसी स्तर पर 294, एपीएचसी स्तर पर 194, एचडब्ल्यूसी स्तर पर 151 व एचएससी स्तर पर 32 दवाएं आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल किया गया है. इसमें फिलहाल 60 प्रतिशत जरूरी दवाएं अमूमन सभी संस्थानों में आसानी से उपलब्ध हो रहा है. एएनएम को वीएचएसएनडी व आरोग्य दिवस सत्र स्थल पर दवाओं को एक विशेष किट मुहैया कराया जाता है. ताकि सामुदायिक स्तर पर जरूरी दवाओं की उपलब्धता बनी रहे. इसमें कुल 21 तरह की जरूरी दवाएं होती है. जानकारी मुताबिक प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र पोर्टल के माध्यम से हीं अपने अगले तीन महीने की मांग से जिला का उपलब्ध कराता है. समेकित रूप से ये डिमांड जिलास्तर से बीएमएसआईसीएल को उपलब्ध कराया जाता है. इसके बाद दवा जिला औषधी भंडार गृह पहुंचता है. स्थानीय स्तर पर किसी दवा की खरीद के लिए बीएमएसआईसीएल द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना जरूरी होता है. सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि सरकारी चिकित्सा संस्थानों में जरूरी दवाओं की उपलब्धता पहले से बेहतर हुई है. इतना ही नहीं निकट भविष्य में एक्सपायर होने वाली दवाओं को लेकर भी पोर्टल के माध्यम से संबंधित संस्थान के जिम्मेदार अधिकारी व कर्मियों को निरंतर अलर्ट किया जाता है. इससे दवाओं की बर्बादी बेहद सीमित हो चुकी है. इसका लाभ आम लोगों को मिल रहा है.

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